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पृष्ठ:रसकलस.djvu/१०५

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fields put on their verdure; the flowers unfold their beauty and fragrance, the birds put on their brightest plumage and sing their sweetest song while the chirp of the cricket, the note of the katydid , is but the call to its mate for the many tounged voices, which break the stillness of field and forest are lent myriad notes of love. "सृजन सबधिनी प्रेरणाओ से जाग्रत् होकर ही मैदान अपनी सब्जी दिखलाते हैं, फूल अपने सौंदर्य और सुगध को प्रकट करते हैं, पक्षी- गण अपने चमकीले से चमकीले पर धारण करते हैं, तथा मधुर-से- मधुर गीत गाते हैं । झिल्ली की झंकार, कोयल की कूक अपने जोडे के आह्वान के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। मैदान और वनों की निम्त- ब्धता को भग करनेवाले जो इन नाना प्रकार के पक्षियो के कलरव सुन पडते हैं, ये सब प्रेम के ही असख्य गीत हैं।" मतिरामप्रथावली की भूमिका पृ० ४। । श्रृंगार रस की प्रधानता शृगार रस की व्यापकता के विपय मे जो कुछ लिखा गया उसे आपने अवलोकन कर लिया, दूसरी विशेपता इस रस में यह है कि यही सब रसों मे प्रधान और आदिम माना जाता है-प्रकृतिवादकार लिखते हैं- शृगार-स० पु० आद्यरस-ईहाते रति स्थायीभाव-पृ० ९९२ । हिदो शब्दसागर मे शृगार के विपय में यह लिखा गया है- शृगार-स० पु० साहित्य के अनुसार नौ रसो में से एक रस जो सबसे अधिक प्रसिद्ध है, और प्रधान माना जाता है। इसका स्थायीभाव रवि है।..... यही एक रस है जिसमें सचारी