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पृष्ठ:रसकलस.djvu/२४५

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( १२ ) विषय ३०६ माननीय महत सच्चे साधु मग तरग व्यग-बाग वीर रस-धर्म वीर कर्म वीर युद्ध वीर दया वीर दान वीर रौद्र रस-अहभाव उत्तेजिता वाला पवि-प्रहार भयानक रस-भय का विभूति विभीषिका प्रलय काल प्रलय प्रकोप नरक वर्णन वीभत्स रस-युद्ध-भूमि मानव-तन स्मशान-भूमि कूकर शूकर नरपिशाच नरावम कलक कथा शात-रस-असार सतार आत्मग्लानि निवेद विराग ३०७ ३०७-३०८ ३०८ ३०९-३१६ ३१६-३२० ३२१-३२७ ३२७-३३० ३३१-३३५ ३३६-३३७ ३३७-३३५ ३३८-३४२ ३४३-३४४ ३४४-३४५ ३४५-३५१ ३५२ ३५२ ३५३-३५५ ३५५ ३५५-३५६ ३५६ ३५६-३५७ ३५७ ३५७-३५८ ३५९-३६१ ३६१ ३६२-३६३