पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ५२ ) ३ ४ ५ ७ Ĉ विषय छंद संख्या विषय छंदसंख्या श्रीराधिकाजू को भेद उपाय १२ श्रीराधिकाजू की निद्रा १४ श्रीकृष्णजू को भेद उपाय श्रीकृष्णजू की निद्रा १५ प्रगति उपाय १४ श्रीराधिकाजू की सखीकी पत्री१६-१७ श्रीराधिकाजू की प्रेम तें प्रणति १५ श्रीकृष्णजू की सखी की पत्री १८ श्रीराधिकाज की अति काम उपसंहार १६ तें प्रगति १२ प्रणति में रसहानि सखी-वर्णन १-२ श्रीकृष्ण की प्रगति अति हिततें १६ धाइ को वचन राधिका सों उपेक्षा २० धाइ को वचन श्रीकृष्ण तों श्री राधिकाजू की उपेक्षा २१ जनी को वचन राधिका सों श्रीकृष्णजू की उपेक्षा २२ जनी को वचन श्रीकृष्ण सो ६ प्रसंगविध्वंस २३ नाइनि को वचन राधिका सों श्री राधिकाजू को प्रसंग विध्वंस २४ नाइनि को वचन श्रीकृष्ण सों श्रीकृष्णजू को प्रसंगविध्वंस २५ नटी को वचन गधिनालों मानएन-बेतु नटी को वचन श्रीकृष्ण मों १० उपसंहार पोसिन कोनधिकागों ११ पोमिन को मारा श्रीमागे १२ मालिन को बावन धामो १३ श्रीराधिकाजू को प्रच्छन्न मालिन को वचन श्रीकृष्ण सों १४ करुणाविरह ३ बरइनि को वचन राधिका सों १५ श्रीराधिकाजू को प्रकाश बर इनि को वचन श्रीकृष्ण सों १६ करुणाविरह शिल्पिनी को वचन राधिका सो १७ श्रीकृष्णजू को प्रच्छन्न करुणाविरह ५ शिल्पिनी को वचन श्रीकृष्ण सों १८ श्रीकृष्णजू को प्रकाश करुणानि 'प रह ६ चुरिहेरिन को वचन राधिका सों १६ प्रवासविरह चुरिहेरिन को वचन श्रीकृष्ण सों २० श्रीराधिकाजू को प्रच्छन्न सुनारिन को वचन राधिका सों २१ प्रवासविरह सुनारिन को वचन श्रीकृष्ण सों २२ श्री राधिकाजू को प्रकाश रामजनी को वचन राधिका सों २३ प्रवासविरह रामजनी को वचन श्रीकृष्ण सों २४ श्री राधिकाजू को विरहभयविभ्रम १० संन्यासिनि को वचन राधिका सों २५ श्रीकृष्णजू को प्रच्छन्न प्रवास विरह११ संन्यासिनि को वचन श्रीकृष्णसों २६ श्रीकृष्णजू को विरहभय-विभ्रम १३ पटइनि को वचन राधिका सों २७-८ १-२ ७ ८ Ĉ