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रस-मीमांसा

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४५२ रस-मीमांसा cie, (3) The suggestion of me and ( 4 ) the suggester रसादि । The word is taken here in the first sense and defined this—जिस काव्य में व्यंग्य अर्थं वाच्य अर्थ की अपेक्षा प्रधान या अधिक चमत्कारक हो वह ध्वनि है, जिसमें व्यंग्य अर्थ गौण हो वह गुणीभूत व्यंग्य है. ध्ब न is (ot My) kinarls.--(1) लक्षण-मृतक (21' अविवक्षित-वाच्य it] (2) अभिधा-मूलक (): विवक्षित-वाय. ( अविवक्षित =बाधित ). लक्षणामूलक 01: अविवक्षित-वाच्य-ध्वनि-- अविवक्षित-वाच्य-ध्वनि is (f t() kinds.... ( 1 ) अर्थातर-संक्रमित-चाच्य aaal (३) अत्यंत-तिरस्कृत-वाच्य। Examples, अर्थातर-संक्रमित-वाच्य-ध्वनि-आम आम ही हैं, इमली इमली ही है, कोइल कोइल ही है, कौआ कौआ ही है. TIe1 the use of the wo1:cls आम, कोइल etc. Sc:(१tirl tune is argft implying "of sweet taste" and "of sweet song etc. These are meanings are not entirely different from the primary meanings 1721 but represent particular aspects of the same. The i PISA is उत्कृष्टता a1al निकृष्टता. In the अर्थातर-संक्रभित-वाच्य there slottle le : सामान्य-विशेप-भात्र 21 व्यापकव्याप्य-संबंध. The वाच्यार्थ should be सामान्य 01 व्यापक arad लक्ष्यार्थं विशेष 01 व्याप्य. In other words अर्थातरसंक्रमित-वाच्य-ध्वनि is based on अजहस्वार्था-वृति.