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पृष्ठ:रस साहित्य और समीक्षायें.djvu/१९

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जो इनकी कवित्व-शक्ति के ही परिचायक हो जाते हैं। इनकी यह एक सबसे बड़ी विशेषता है कि ये हिन्दी के सार्वभौम कवि हैं। खड़ी बोली, उर्दू के मुहाविरे, ब्रजभाषा, कठिन, सरल, सब प्रकार की कविता की रचना कर सकते हैं और सब में एक अच्छे उस्ताद की तरह ये सरल चित्त से सब की बातें सुन लेते हैं। इनके समय, स्थिति और जीवन पर विचार करने पर कवित्व का कहीं पता भी नहीं मिलता, पर ये महाकवि अवश्य हैं। हिन्दू-कुल को प्रचलित ब्राह्मण प्रथाओं पर विश्वास रखते हुए, अपने आचार-विचारों की रक्षा करते हुए, नौकरी पर रोज हाजिर होते हुए भी ये सरल, सरस कवि ही बने रहे। कवि की जो उच्छृङ्खलता उसकी प्रतिभा के उन्मेष के कारण होती है वह इनमें नाम के लिए भी नहीं है, परन्तु नौकरी करते हुए भी ये प्रतिभाशाली कवि ही रहे। हिन्दी भाषा पर इनका अद्भुत अधिकार है।

--पं० सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

'ठेठ हिन्दी का ठाठ' के सफलतापूर्ण प्रकाशन के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ। यह एक प्रशंसनीय पुस्तक है। आप कृपा करके पं० अयोध्या सिंह से कहिये कि मुझे इस बात का बहुत हर्ष है कि उन्होंने सफलता के साथ यह सिद्ध कर दिया कि बिना अन्य भाषा के शब्दों का प्रयोग किये ललित और ओजस्विनी हिन्दी लिखना सम्भव है।

--डा० ग्रियर्सन

'अधखिला फूल' कल हमने रात को पढ़ा। बहुत दिनों से उपन्यासों का पढ़ना छोड़ दिया था, पर इसलिये कि आपने इसे हमारे पढ़ने के लिए भेजा था, हमने पहिले बेगार-सा शुरू किया; समझा था कि भूमिका भर पढ़कर रख देंगे। पहली पंखड़ी के प्रथम