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पृष्ठ:रस साहित्य और समीक्षायें.djvu/४

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महाकवि "हरिऔध"

एक परिचय

श्री हरिऔध का जन्म वैशाख कृष्ण तृतीया सं० १९२२ तदनुसार १५ अप्रैल सन् १८६५ ई० को निजामाबाद, आजमगढ़, में हुआ। आप अगस्त्य गोत्रीय, शुक्ल यजुर्वेदीय, सनाढ्य ब्राह्मण थे। आपका घराना चिरकाल से प्रतिष्ठित रहा है और वह पूर्वजों की प्रतिष्ठा अब तक अक्षुण्ण चली आ रही है। आपके वंश में बड़े-बड़े विद्वानों ने जन्म लिया था। आपके पूर्वज विद्या से ही नहीं, दुर्लभ राज सम्मान से भी सम्मानित रहे। श्रीमान् पं० ब्रह्मासिंह जी उपाध्याय जो श्री हरिऔध जी के पितृव्य और विद्या गुरु भी थे, इस जिले के परम प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध ज्योतिर्विद हो गये हैं।

श्री हरिऔध के पूर्व पुरुष बदायू के रहनेवाले थे। राजरोषभाजन एक कायस्थ परिवार की रक्षा करने के कारण उनको भी राजा के कोप का पात्र बनना पड़ा। अब से चार सौ बरस पहले आपके पूर्वज उसी कायस्थ परिवार के साथ-साथ सपरिवार निजामाबाद भाग आए थे। निजामाबाद जिला आजमगढ़ में तमसा नदी के किनारे बसा हुआ एक प्रसिद्ध कस्बा है।

श्री हरिऔध के पूर्व पुरुषों में पं० काशीनाथ जी उपाध्याय अपने समय के एक उच्च राज-कर्मचारी थे, किन्तु कुछ धार्मिक विरोध उपस्थित होने पर उनको अपना यह प्रतिष्ठित पद त्याग देना पड़ा था। श्रीमान् ब्रह्मासिंह जी उपाध्याय की चर्चा ऊपर की गई है। आप तीन भाई थे। सब में बड़े आप ही थे। आप से छोटे