पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/१९

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रहीम का परिचय।


३९ के है। ११ सोरठों में ४ नीति के, १ भक्ति का, ३ श्रृंगार के और ३ अन्य विषय के हैं।

२ बरवै नायिका भेद -- यह पुस्तक पाई जाती है और प्रकाशित भी हो चुकी है। लेकिन अद्यावधि प्रकाशित सभी पुस्तकों में इसका मूल पाठ बहुत अशुद्ध निकला है। साथ ही पूर्ण भी नहीं है। हमारी पुस्तक का पाठ हरताल से शोधित पत्राकार एक प्राचीन हस्त-लिपि के आधार पर है जो लगभग १०० वर्ष से उपरान्त की है। यह बहुत अंश में पूर्ण भी है। इसमें बरवों की संख्या ११५ है। पाठ के विषय में हमें केवल इतना ही कहना है कि इसका पाठ मेरे विचार से बिलकुल शुद्ध और मान्य है। यदि अन्य प्रकाशित पुस्तकों के पाठ से मिलान करके देखा जाय तो इसका पूरा पता चल जायगा। लगभग प्रत्येक छन्द में कुछ न कुछ अन्तर पाया जाता है। हम यहाँ पर केवल एक छन्द नमूने के तौर पर दिए देते हैं। यह लक्षिता का उदाहरण है-

अन्य प्रतियों का पाठ --

आजु नयन के कजरा, औरै भाँति।

नागर नेह नवेलिहि, सुदिने जाति॥

हमारी प्रति का पाठ --

आजु नयन के कोरवा, औरै भाँति।

नागर नेह नवेलिहि, मुँदि न जाति।