पृष्ठ:राजविलास.djvu/३

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भूमिका। साहित्य में इतिहास का बहुत ऊंचा दर्जा है। हिन्दी में अभी इतिहास की बहुत कमी है। हिन्दी-माहित्य-संसार में अभी तक बच्चे इतिहास लेखक तथा इतिहास पाठक बहुत कम देखे जाते हैं । परंतु अब लोगों को ध्यान इस ओर कुछ कुछ मुका सा जान पड़ता है। इसी लिये सभा ने भी इतिहाम ग्रन्थों के प्रकाशन में अधिक ध्यान देना आरंभ किया है। इतिहाम एक रूखा सूखा विषय है। इसी कारण लोग. 3. कम धान देते हैं। परंतु जब सच्चे इतिहास के साथ सुन्दर कविता का मेल हो जाता है तब उसकी छटा दुगुनी मनमोहनी हो जाती है । इस हेतु साहित्य पर उन कवियों का बड़ा भारी एहसान होता है जो ऐतिहा- मिक काव्य लिखते हैं। ऐसे ऐतिहासिक काव्य ही अजर और अमर होकर साहित्य की शोभा बढ़ाते हैं। यह ग्रंथ भी ऐमा ही एक ऐतिहासिक काव्य है। इसे राजपूनाना निवासी “मान' कवि ने विक्रमी संवत् १७३४ में लिखना आरंभ किया था। मालूम होता है कि इस ग्रन्थ को कधि ने तीन वर्ष बाद समाप्त किया है क्योकि सं० १७३७ तक की घटनाओं का वर्णन इसमें पाया जाता है। इसमें उदय पुराधीश महाराणा राज सिंह के समय का वर्णन है। जिस समय का वर्णन कवि ने इस पुस्तक में किया है उस समय का साधारण काल ज्ञान पाठक को अवश्य होना चाहिये, नहीं तो कहीं कहीं कुछ बातों के समझने में