पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१०७

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. राजसिंह [ तीसरा रानी-तुम्हे स्वर्गीय महाराज की इच्छा मालूम है । रामसिंह-उनकी बाते उनके माथ गई। रानी-उनकी आज्ञा के विरुद्ध कुछ न हो सकेगा। रामसिंह-अब तो मेरी ही आना के अनुसार सब काम होंगे। में राजा हूँ। रानी-वह न होन पावेगा। रामसिंह-यही होगा रानी-मैं आना देती हूँ। रामसिंह-यह मेरा काम है, आपका नहीं। आप महल में बैठकर पूजा-पाठ, दान-धर्म कीजिए। रानी-तो तुमने राजकुमारी का डोला बादशाह को देने की सोचली है। रामसिंह-निश्चय। यह तो बहुत मामूली बात है। इसके सिवा बड़े भारी लाभ की भी। रानी-मामूली बात है, क्यों ? सुनू तो जरा । रामसिंह-सुनने की क्या बात है। सभी राजाओं ने अपनी बेटियाँ शाही हरम में दी हैं। रानी माँ हमारी बहन बादशाह की बेगम बनेगी, यह जानकर तुम्हें खुश होना चाहिए। रानी-खुश होना चाहिए ? क्यों ? रामसिंह-इसलिए कि बादशाह के रिश्तेदार बनकर हमारा राज्य, पद मर्यादा बढ़ेगी। दिल्ली के दरबार में