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पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२२३

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राजसिंह [सातवॉ कि बंगाल और दक्खिन की शाही फौजें भीगे बन्दर की तरह सिकुड़ कर बैठी रहीं और मुलतान की फौज नेश्तनाबूद हो गई । कुछ भी मदद न मिल सकी। अब शहनशाह जैसा मुनासिब समझे। बादशाह-तुम अभी अपनी फौज के साथ कुँच करके अकबर को वापस लाकर चित्तौर में छावनी डालो। हम खुद इस बार मुल्क के भीतरी हिस्से में घुसेंगे और देखेंगे कि राना में कितना जोर है। तहब्बुरखा-जो हुक्म बन्दा नेवाज । (जाता है)