पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१२

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दोनों ओर की सेनायें एक दूसरे करीव पहुँच गयीं। उसी समय भयानक युद्ध आरम्भ हुआ। अगणित सैनिकों के पदाघाता से पृथ्वी कम्पायमान हो उठी। आकाश की तरफ अन्धकार दिखायी देने लगा। उस समय युद्ध मे लडते हुए सैनिकों की तलवारों की आवाज के सिवा और कुछ सुनायी न पड़ता था। कभी-कभी घोड़ों के बोलने की आवाज कानों में आती। दोनों ओर के अगणित सैनिक अपनी भीषण मार के साथ शत्रुओं का संहार करते हुए आगे बढ़ने की चेष्टा कर रहे थे। तलवारों की धारों से सैकड़ों शूरवीरों के सिर कट-कट कर भूमि पर गिर रहे थे। कुछ देर के युद्ध के पश्चात् सम्पूर्ण युद्ध स्थल रक्तमय हो उठा। युद्ध की परिस्थिति लगातार भयानक होती जाती थी। एक तरफ राजपूत सैनिक थे और दूसरी तरफ यवन फौज के खूखार आदमी थे। दोनों तरफ की भयानक मार-काट से युद्ध भूमि में लाशों के चारों तरफ ढेर दिखायी देने लगे। बहुत समय तक भयानक मार-काट होती रही और अन्त में यवन सेना भागने लगी। ठसके पच्चीस हजार शूरवीर सैनिक इस युद्ध में मारे गये और सात हजार हिन्दुओं ने शत्रुओं का संहार करते हुए अपने प्राणों की आहुतियां दीं। यवन मेना के भागते ही हिन्दुओं की सेना में विजय का डंका वजा और राजा गज अपनी विजय सेना को लेकर अपनी राजधानी की तरफ लौटा। अपनी राजधानी में पहुँच कर गज युधिष्ठिर के सम्बत् 3008 के वैसाख महीने के तीसरे दिन रविवार को रोहिणी नक्षत्र मे गजनी के सिंहासन पर बैठा और यदुवंशियों का शासन आरम्भ किया। इस विजय से राजा गज की शक्तियाँ अत्यन्त महान हो गयीं। उसने एक-एक करके समस्त पश्चिमी राज्यों को जीत कर अपने अधिकार में कर लिया और उसके बाद ठसने काश्मीर के राजा कंदर्पकेलि को अपने यहाँ बुलवाया। राजा कंदर्पकेलि ने उसके उत्तर में संदेश भेजा कि मैं राजा गज से राजधानी में नहीं, रणभूमि में मिलूंगा। इस प्रकार का उत्तर पाकर राजा गज ने युद्ध की तैयारी की। काश्मीर में जाकर उसने आक्रमण किया और राजा कंदर्पकेलि को पराजित करकं ठसकी लड़की के साथ विवाह किया। उस रानी से राजा गज के शालिवाहन नाम का लड़का पैदा हुआ। शालिवाहन को वारह वर्ष की अवस्था में समाचार मिला कि खुरासान की सेना आक्रमण करने के लिए आने वाली है। इस समाचार को पाकर राजा गज अपने वंश की देवी के मन्दिर में जाकर तीन दिन तक पूजा करता रहा। चौथे दिन आकाशवाणी हुई कि शत्रु की विजय होगी। गजनी का अधिकार शत्रुओं के हाथों में चला जाएगा। परन्तु किसी समय तुम्हारे वंश के लोग उस पर फिर से अधिकार कर लेंगे। लेकिन हिन्दुओं की हैसियत से नहीं, मुसलमानों की हैसियत में। तुम इस समय अपने पुत्र शालिवाहन को पूर्व के हिन्दुओं के पास भेज दो, वहाँ जाकर शालिवाहन एक राजधानी की प्रतिष्ठा करेगा। उसके पन्द्रह लड़के होंगे और उसके वंश की वृद्धि होगी। गजनी के इस युद्ध में तुम्हारी मृत्यु होगी। लेकिन उससे तुमको स्वर्ग और यश मिलेगा। इस आकाशवाणी को सुनकर राजा गज ने अपने पुत्र शालिवाहन और परिवार को तीर्थ यात्रा के बहाने पूर्व दिशा में भेज दिया। - 6