शालिवाहन के बाद उसके राज्य सिंहासन पर उसका बड़ा पुत्र वालन्द बैठा। उसके दूसरे भाइयों ने पंजाव के सम्पूर्ण पहाड़ी भागों पर अपने स्वतंत्र राज्य कायम कर लिए थे। इन दिनों में म्लेच्छों की शक्तियाँ फिर प्रबल हो गयी थीं। उन तुर्कों ने गजनी के आस-पास के सभी नगरों और स्थानों पर अधिकार कर लिया। इन दिनों में वालन्द का कोई मंत्री न था। वह अकेले ही समस्त राज्य का शासन करता था। उसके सात लड़के पैदा हुये- 1. भट्टी 2. भूपति 3. कलराव 4. झंझु* 5. सहराव 6.भैसडच और 7. मँगरेव। बालन्द के दूसरे पुत्र भूपति से चाकेता नाम का एक लड़का पैदा हुआ। उससे चाकेता वंश की सृष्टि हुई। चाकेता के आठ लडके पैदा हुए- 1. देवसी 2. भैरों 3. क्षेमकर्ण 4. नाहर 5. जयपाल 6. धरसी 7. विजलीखान और 8. साहसमन्द। वालन्द अपने पौत्र चाकेता को गजनी का शासन मौंपकर शालिवाहनपुर चला आया। इन दिनों में जैसाकि ऊपर लिखा गया है, म्लेच्छों अर्थात् तुर्को की संख्या बढ़ गयी थी। इसलिए चाकेता ने उन लोगों को अपनी सेना में भर्ती कर लिया और अनेक तुर्क वहाँ के सामन्त वन गये। उन तुकं सामन्तों और सैनिकों ने चाकेता के सामने प्रस्ताव किया कि यदि आप अपने पूर्वजों का धर्म छोड़ दें तो हम लोग आपको वलखवुखारा के सिंहासन पर बिठायेंगे। बलखवुखारा में उजवक जाति के लोग रहते थे और वहाँ के राजा के कोई लड़का न था। उसके एक बहुत सुन्दर लड़की थी। चाकेता ने राज्य के लालच में आकर बलखबुखारा की शाहजादी के साथ विवाह कर लिया और उसके बाद वहाँ के सिंहासन पर बैठकर उसने अट्ठाईस हजार अश्वारोही सेना को अपने अधिकार में रखा। वलख बुखारा से लेकर भारतवर्ष तक चाकेता ने एक विस्तृत राज्य पर शासन किया। इन चाकेता लोगों से ही मुगलों के चगत्त वंश की उत्पत्ति हुई। वालन्द के तीसरे लड़के कलूराव के आठ पुत्र पैदा हुए। उसके वंगज कलर नाम से प्रसिद्ध हुए। वालन्द के आठ पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं-1. शिवदास 2. रामदास 3. अस्सो 4. किसतन 5. समोह 6. गंगू 7. जस्सू और 8. भागृ। ये सभी लोग इस्लाम धर्म स्वीकार करके मुसलमान हो गये थे। इनके वंश वालों की संख्या अधिक हो गयी थी। ये लोग नदी के पश्चिम में पहाड़ी इलाकों में रहा करते थे। वालन्द के चौथे पुत्र झंझू के सात लड़के पैदा हुए- 1. चम्पू 2. गोकुल 3. मेघराज 4. हंसा 5. भादोंन 6. रासू और 7. जागू। इस वंश के लोग झंझू नाम से पुकारे गये और इन लोगों से अनेक वंशों की उत्पत्ति हुई। भट्टी वालन्द का सबसे बड़ा लड़का था। वही अपने पिता के राजसिंहासन पर बैठा। भट्टी अत्यन्त पराक्रमी और प्रतापशाली राजा हुआ। उसने चौदह राज्यों को जीतकर उनकी . बादशाह बाबर ने यदुवंश में उत्पन्न बटुगिरि की जिस जनजूही जाति का उल्लेख किया है। वही जोहिया अथवा जदु नाति है। यह झंझ उसी जोहिया जाति का आदि पुरुष था। यदुवंशी राजा चाकेता ने जिस प्रकार लालच में आकर इस्लाम धर्म स्वीकार किया है, उसमें किसी को सन्देह करने की गुंजाइश नहीं है। इसलिये कि मुस्लिम तवारीखों में चाकेता लोगों के प्रधान तसृचीन जो चंगेजजों के नाम से प्रसिद्ध हुआ,का जिक्र किया गया है। इस चंगेजखाँ से भारतीय इतिहास के पाठक अपरिचित नहीं है। 8
पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१४
दिखावट