पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१६३

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किया और अधीनता के पत्र पर उसने हस्ताक्षर कर देने के वाद वार्पिक एक लाख रुपये कर के रूप में देना भी स्वीकार किया। लेकिन इसके बाद एक लाख रुपये में कमी की गयी और अन्त में चौंसठ हजार रुपये वार्षिक कर में आमेर के राजा को देने लगा। कुछ दिनों के बाद राजा जयसिंह की शक्तियाँ कमजोर पड़ गयीं। मराठों और पठानों की लूट-मार आमेर राज्य के चारों तरफ आरम्भ हो गयीं, उस समय खण्डेला से कर वसूल करना उसके लिए कठिन हो गया। इसके पहले गंगा के किनारे दीपसिंह से राजा जयसिंह ने फतेह सिंह के लड़के को उसका अधिकार दिलाने का वादा किया था, वह वादा अभी तक बाकी था। इसलिए फतेह सिंह ने अपने जीवन-काल में खण्डेला राज्य से दो हिस्से पाये थे, उन पर उसके लड़के वीरसिंह को अधिकारी बना दिया गया। इस तरह सवाई सिंह और वीरसिंह दोनों ही जयसिंह की अधीनता में चलने लगे। सवाई सिंह जिन दिनों खण्डेला में न रहता था। उन दिनों में उदय सिंह ने अपने राज्य पर अधिकार करने के अभिप्राय से एक सेना लेकर अचानक उदयगढ़ पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया। सवाई सिंह उस समय आमेर राजधानी में था। उसने अपने पिता उदय सिंह के आक्रमण का समाचार जयसिंह से कहा। उसे सुनते ही जयसिंह ने तुरन्त उदय सिंह पर आक्रमण करने का आदेश दिया। सवाई सिंह जयपुर की सेना के साथ रवाना हुआ और उसने उदयगढ़ पर आक्रमण करके उदय सिंह को वहाँ से भगा दिया। उदय सिंह इसके बाद फिर नारू चला गया और जीवन के शेप दिन उसने वहीं पर व्यतीत किये। सवाई सिंह ने उसके खर्च के लिए पॉच रुपये नित्य के हिसाब से देने का प्रबन्ध कर दिया था। सवाई सिंह के तीन लड़के पैदा हुए-वृन्दावन, शम्भू ओर कुशल। बड़े लड़के वृन्दावन को खण्डेला का राज्याधिकार मिला। मझले लड़के शम्भू को रानौली का और छोटे लड़के कुशल को पिपरौली का अधिकारी बना दिया गया। 155