पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२३२

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आरम्भ किया। देख-भाल के लिये सूजाबाई स्वयं वहाँ उपस्थित रही। हिन्दुओं में पति वंश की अपेक्षा बन्धु वंश की प्रशंसा करना लड़कियाँ अपना कर्त्तव्य समझती हैं। पिता के वंश की यदि कोई निन्दा करता है तो वे किसी प्रकार सहन नहीं कर सकती। राणा और राव-दोनों के भोजन कर चुकने पर सूजाबाई ने अपने भाई के गौरव को बढ़ाने के लिये कहाः "मेरे भाई ने सिंह के समान भोजन किया है। लेकिन स्वामी ने भोजन करने के समय एक बालक की तरह प्रदर्शन किया है।" सूजाबाई के मुख से इस प्रकार की बात को सुनकर राणा ने अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर इसका बदला लेने के लिए वह उत्तेजित हो उठा। परन्तु यह सोचकर कि अतिथि के साथ किसी प्रकार का अशिष्ट व्यवहार करना राजपूत का कर्तव्य नहीं है, वह शान्त हो गया। वह बात ज्यों की त्यों रह गयी। राव सूर्यमल्ल चित्तौर से बूंदी जाने के लिये तैयार हुआ। उस समय राणा रत्नसिंह ने उससे कहा- "आगामी बसन्त ऋतु में फाल्गुन के उत्सव के समय हम बूंदी के जंगल में शिकार खेलने के लिये आवेंगे।" राव सूर्यमल्ल ने राणा की इस बात को सुनकर प्रसन्नता प्रकट की। कुछ दिनों के बाद बसन्त ऋतु में फाल्गुन का उत्सव समीप आने पर राव सूर्यमल्ल ने राणा के पास आने के लिए निमन्त्रण भेजा। उस निमन्त्रण को पाकर सेना और सामन्तों के साथ राणा रत्नसिंह पठार के रास्ते से यूँदी की तरफ रवाना हुआ। चम्बल नदी के पश्चिमी किनारे पर नान्दाता नामक स्थान के विस्तृत वन में शिकार खेला जाएगा, यह पहले से ही निश्चित था। उस वन में सिंह से लेकर सभी प्रकार के जंगली जानवर थे। राणा के वहाँ पहुँचने पर बूंदी का राजा राव सूर्यमल्ल भी सेना के साथ वहाँ पर आ गया। राव और राणा-दोनों ही शिकार खेलने के लिये चले। दोनों ओर के सैनिकों ने शोर-गुल करते हुए जंगल में प्रवेश किया। उनकी आवाजों को सुनकर जंगल के सभी जानवर उत्तेजित हो उठे। छोटे-छोटे जंगली पशु डर कर जंगल में इधर-उधर भागने लगे। उस घने वन में राणा रत्नसिंह ने अपने अपमान का बदला लेने की कोशिश की। राणा और राव जंगल में जहाँ घूम रहे थे, उनकी सेनाओं के सैनिक वहाँ से जंगल में दूर पहुँच गये थे। कान में सींक डाल देने के कारण बूंदी के राव ने मेवाड़ के एक पुरविया सामन्त को मार डाला था और उस सामन्त के लड़के ने अपने पिता का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी। इस समय जंगल में राणा रत्नसिंह के साथ उस सामन्त का लड़का भी था। राणा रत्नसिंह ने सामन्त के लड़के को संकेत से बुलाकर कहा- "इस अवसर पर क्या बाराह का शिकार करोगे?" सामन्त के पुत्र के साथ यहाँ आने के पहले ही बातें हो चुकी थीं। सामन्त के लड़के ने अपना धनुप लेकर राव सूर्यमल्ल पर एक बाण मारा। राव सूर्यमल्ल ने अपना बाण छोड़कर उसको असफल कर दिया। लेकिन उस सामन्त के पुत्र ने सूर्यमल्ल पर अपने दूसरे बाण का वार किया। यह देखकर सूर्यमल्ल को उस पर सन्देह हुआ और उसने समझ लिया कि यह तो मेरे प्राणों पर आक्रमण हो रहा है, इसी समय राणा रत्नसिंह ने अपने घोड़े को बढ़ाकर तेजी 224