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प्रकार नीति का आश्रय लेकर पटेल लोग किसानों से प्रति वर्ष बहुत-सा धन वसूल करके अपना घर भरने लगे। अपने इस उपाय का अवलम्बन करके कोटा के पटेल राजस्थान में अधिक सम्पत्तिशाली समझे जाने लगे। पटेलों के इस व्यवहार के कारण राज्य के किसानों की अवस्था फिर शोचनीय हो गयी। पटेलों के इस अत्याचार का समाचार जालिम सिंह के कानों में पहुँचा। इसी बीच में पटेलों ने राज्य के खजाने को रुपयों से भर दिया और बहुत-से किसानों की भूमि लेकर जालिम सिंह के अधिकार में दे दी थी। इसलिए जालिम सिंह ने पटेलों के अत्याचारों पर बहुत दिनों तक सुनी-अनसुनी की। राज्य की यह अवस्था सन् 1811 ईसवी तक चलती रही। इसके बाद एकाएक जालिम सिंह ने राज्य के समस्त पटेलों को कैद करने का आदेश दिया। उनके कैद हो जाने पर पटेलों ने अन्याय करके जो वहुत-सा धन एकत्रित किया था, उनकी समस्त सम्पत्ति लेकर जालिम सिंह ने राज्य के खजाने में शामिल कर दी। उसके बाद उनके अपराधों का निर्णय करके उन पर लम्बे-लम्बे जुर्माने किये गये। उन पटेलों में केवल एक ने अपने पैदा किये हुए धन से सात लाख रुपये किसी दूसरे राज्य में भेज दिये। केवल इसी एक उदाहरण से अनुमान किया जा सकता है कि कोटा के पटेलों ने किसानों पर अन्याय करके कितना अधिक धन एकत्रित किया था और उनके अत्याचारों से वहाँ के किसानों का किस प्रकार सर्वनाश हुआ था। जालिम सिंह ने जव देखा कि वर्तमान नयी व्यवस्था के कारण किसानों की अवस्था और भी अधिक शोचनीय हो गयी है, तो उसने अपने राज्य में फिर से प्राचीन व्यवस्था को लागू किया और नयी कायम की हुई व्यवस्था को उसने हमेशा के लिए खत्म कर दिया।