पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३०२

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को सुरक्षित रखने के लिए। किसी अर्थ में हम इस बात को मानने के लिए भी तैयार हैं कि जालिम सिंह ने कोटा राज्य के हाड़ा राजपूतो के गौरव की रक्षा की थी। लेकिन जहाँ पर राज्य की प्रजा के सुख-सन्तोप का प्रश्न पैदा होता है, जालिम सिंह के शासन की किसी प्रकार प्रशंसा नहीं की जा सकती। उसने विभिन्न साधनो से व्यक्तिगत सम्पत्ति जितनी ही अधिक पदा की थी, राज्य की प्रजा का जीवन उतना ही संकटमय बन गया था। वह राज्य के कर्मचारियो पर नियन्त्रण रखने में पूरी तौर पर असफल हुआ था, जो किसी प्रकार अच्छे शासन का प्रमाण नहीं देता। उसने सम्पत्ति से राज्य का खजाना भरा था, दुर्गो को सुदृढ़ बनाया था परन्तु उसकी इस व्यवस्था का राज्य की प्रजा पर क्या प्रभाव पड़ा था, क्या यह विचारणीय नहीं है? अच्छा वेतन पाने वाली शिक्षित और शक्तिशाली सेना राज्य की रक्षा के लिए आवश्यक थी, परन्तु दीन और दरिद्र प्रजा के असन्तुष्ट होने के कारण वह सेना आवश्यकता पड़ने पर राज्य की रक्षा करने में कहाँ तक सफल हो सकती थी, इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। 296