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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३४७

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उस दुर्ग की सबसे ऊँची चोटी पर अत्यन्त रमणीक बादल महल बना हुआ है। राजा और उसका परिवार वर्षा के दिनों में उसमें आकर रहा करता है। इस वादल महल से मरुभूमि का बालुकायम विस्तृत प्रान्त देखने में अत्यन्त सुन्दर मालूम होता है। कमलमीर के इस दुर्ग पर चढ़ते ही सबसे पहले एक संकीर्ण मार्ग मिलता है, उस मार्ग से कैलवाड़ा से लगभग एक मील की दूरी पर अराइनपोल नामक फाटक दिखायी देता है। उस विशाल फाटक के आगे दो फाटक और हैं, जिनका नाम हुल्लापोल और हनुमान पोल है। वे फाटक जितने सुन्दर और दर्शनीय हैं, उतने ही वे सुदृढ़ और मजबूत भी हैं। भीतर की तरफ जो फाटक वना हुआ है, उसका नाम चौंगाना पोल है। ____ कमलमीर का सबसे ऊंचा शिखर समुद्र की सतह से 6353 फुट ऊँचा है। इस ऊँचे शिखर से मैंने मरुभूमि के अत्यन्त दूरवर्ती दृश्य देखे हैं। वहाँ से मैंने एक पुराना जैन मन्दिर भी देखा। उस मन्दिर की बनावट बहुत प्राचीनकाल की है। उस भन्दिर के मध्य भाग में एक विशाल कमरा है, उसमें बहुत-से स्तम्भ हैं और उसके आगे का बरामदा वड़ा अच्छा बना हुआ है। इस मन्दिर की बनावट में न केवल प्राचीनता है, बल्कि हिन्दू मन्दिरों में जो निर्माण कला देखने में आती है, इसकी निर्माण कला उससे भिन्न है। ऐसा मालूम होता है कि हिन्दू धर्म और जेन धर्म में जो विभिन्नता है, उसी का अनुकरण करके इन दोनों प्रकार के मन्दिरों के निर्माण में भिन्नता रखी गयी। यह जैन मन्दिर अपने पुरानेपन के साथ सादगी में भी एक विशेषता रहता है। उसकी पुरानी इमारत को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मन्दिर ईसा से दो सो वर्ष पहले बना होगा। हिन्दुओं के जितने भी मन्दिर देखने में आते हैं, इस मन्दिर की सभी बातें उनसे भिन्न है। हिन्दू मन्दिरों के स्तम्भ मोटे होते हैं। उनके प्रतिकूल इस मन्दिर के स्तम्भ पतले हैं और इनकी बनावट मे वडी भिन्नता है, इसी प्रकार के अन्तर अन्य बातो में भी पाये जाते हैं। बहुत सम्भव है कि यह मन्दिर चन्द्रगुप्त के वंशज राजा सम्प्रीति के समय मे बनवाया गया हो। राजा सम्प्रीति चन्द्रगुप्त के वंश में उससे चार पीढ़ियों के बाद पैदा हुआ था। वह जैन धर्मावलम्बी था। राजा सम्प्रीति और यूनानी सैल्यूकस में मित्रता थी। सेल्यूकस वैक्ट्रिया का शासक था। मेगा स्थनीज के लेखो से भी पता चलता है कि इन दोनों मे गहरी मित्रता थी। उन्हीं लेखों से जाहिर होता है कि जैन धर्मावलम्बी राजा की एक लडकी का विवाह सैल्यूकस के साथ हुआ था। उस विवाह में बहुत-से हाथी और कीमती पदार्थ सैल्यूकस को दिये गये थे। और सैल्यूकस ने अपनी सेना का एक दल चन्द्रगुप्त के पास उसकी अधीनता में रहने और काम करने के लिए भेजा था।* टॉड माहब ने राजा सम्प्रीति जऔर सैल्यूकस क सम्बन्ध में जो कुछ लिखा है वह सही नहीं जान पड़ता। दूसरे इतिहासकारों के अनुसार चन्द्रगुप्त ने अपनी लडकी का विवाह सैल्यूकस के साथ कर दिया था। टॉड मादव ने लिखा है कि राजा सम्पीति चन्द्रगुप्त के वश में उसकी चौथी पीढी में उत्पन्न हुआ था। यह समय और भी अधिक आश्चर्य में डालता है। राजा सम्प्रीति और चन्द्रगुप्त का एक समय नहीं हो सकता। फिर टॉड साहब के लिखने में इस प्रकार की भूल कैसइद नहीं कहा जा सकता। भारतवर्ष के दूसरे इतिहासकार और टॉड साह में यहाँ पर अन्तर है। अन्य इनिहाकारों ने अपन ग्रन्यों में इस बात को स्पट लिया है किमन्यकम साथ मेरी हो जाने पर मय ने चन्द्रगुप्त में अपनी लड़की का विवाह कर दिया था। इस स्थन्न पर दूसरे इतिहासकार सही जान पड़ने । -अनुवादक 341