पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२६

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अध्याय 3 सूर्य वंश एवं चन्द्र वशं की उत्पत्ति व्यास ने सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु से लेकर रामचन्द्र तक सूर्य वंश के सत्तावन राजाओं के नामों का उल्लेख किया है और अट्ठावन नामों से अधिक राजाओं की वंशावली चन्द्रवंश के सम्बंध में मुझे देखने को नहीं मिली। इस संख्या में और मिश्र वालों को दी हुई संख्या में अंतर है। मिश्र के ग्रंथों में हेरोडोटस के अनुसार, अपने आदि पुरुष सूर्य पुत्र मीनस से लेकर ऊपर दिये गये समय तक के तीन सौ तीस राजाओं के नाम लिखे हैं। मनु का बेटा इक्ष्वाकु पहला राजा था, जिसने पूर्व की तरफ जाकर अयोध्या का निर्माण किया था। बुध- चन्द्रवंशियों का आदि पुरुष माना जाता है। "जैसलमेर की कथा” नामक ग्रंथ में लिखा है कि महाभारत के पहले प्रयाग, मथुरा, कुशस्थली और द्वारिका में क्रमशः चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानियाँ रहीं। लेकिन इस वात के निर्णय करने की हमें कोई सामग्री नहीं मिली कि उनकी प्रथम राजधानी प्रयाग की प्रतिष्ठा किसने की। फिर भी जो कुछ पढ़ने को मिला है, उसके आधार पर यह लिखा जा सकता है कि बुध के छठी पीढ़ी में पुरु ने उसकी स्थापना की थी। इक्ष्वाकु से लेकर राम तक सत्तावन राजा अयोध्या के राज सिंहासन पर बैठे। ययाति से चन्द्रवंश आरंभ होता है। उसकी शाखा यदुवंश में ययाति से लेकर कहीं पर सत्तावन और कहीं उनसठ पीढ़ियों का उल्लेख किया गया है। युधिष्ठिर, शल्य, जरासंघ और बहुरथ तक, जो कृष्ण और कंस के समकालीन थे, उनके पूर्वज ययाति से क्रमशः 51, 46 और 47 पीढ़ियों का उल्लेख मिलता है। सूर्यवंशी शाखाओं और चन्द्रवंश की यदुवंशी शाखाओं में बहुत अंतर पाया जाता है। उनके सम्बंध में विभिन्न लेखकों ने भिन्न-भिन्न संख्याओं का उल्लेख किया है। हमने यहाँ पर वही संख्यायें दी हैं जो अधिक सही मालूम हुई हैं। इन वंशावलियों का उल्लेख मिस्टर वेंटले सर विलियम जोन्स और कर्नल विल्फर्ड ने अपने लेखों में किया है। मिस्टर वेंटले और सर विलियम जोन्स की दी हुई संख्याओं में कोई अंतर नहीं है । उन दोनों ने सूर्य और चन्द्रवंशों की क्रमशः 56 पीढ़ियों का जिक्र किया है। कर्नल विल्फर्ड की संख्या सूर्यवंशियों के सम्बंध में सही नहीं मालूम होती लेकिन चन्द्रवंश के सम्बंध में पुरु और यदु दोनों वंशों की नामावली सही मालूम होती है । रामचन्द्र का समय कृष्ण से बहुत पूर्व महाभारत युद्ध से चार पीढ़ी पहले का था। चन्द्रवंशी प्रमुख शाखाओं में पुरु, हस्ती, अजामीढ़, कुरु, शान्तनु और युधिष्ठुिर बड़े प्रतापशाली हुये । इनकी वंशावली जो मिलती है वह बहुत कुछ सही मालूम होती है। कर्नल विल्फर्ड ने इस प्रकार की खोज के लिए अधिक सामग्री एकत्रित की थी और इसीलिए वह हस्ती और कुरु दोनों ही वंशों की अधिक शाखाओं का उल्लेख कर सका । इन दोनों वंशावलियों में भीमसेन के - 26