पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/३२४

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अध्याय-28 मेवाड़ में धार्मिक जीवन, उत्सव व त्यौंहार - भारत का प्रधान और पुराना धर्म सनातन धर्म है। उस धर्म के सभी रीति-रिवाज पौराणिक कथाओं के आधार पर चलते हैं। हिन्दुओं के शास्त्रों में जो धार्मिक आदेश दिये गये हैं, उनका समन्वय कथाओं के रूप में पुराणों में किया गया है। इन कथाओं की आलोचना करना हमारा यहाँ पर उद्देश्य नहीं है। इसलिये उनके सम्बन्ध में यहाँ पर इतना ही लिखना आवश्यक है कि धर्म के नाम पर जो रीति और रिवाज इस देश में प्रचलित हैं, उनको पुराणों से प्रेरणा मिलती है। राजस्थान में इन पुराणों का अधिक प्रभाव है। इस देश में और विशेषकर राजस्थान के राज्यों में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुये हैं। उनके पुराने अस्तित्व मिट गये हैं। बड़ी-बड़ी राजधानियाँ वर्वाद हो गयी हैं, विशाल नगर वीरान हो गये हैं और उनमें रहने वाले मनुष्यों के जीवन में अगणित परिवर्तन हुए हैं। परन्तु उनके प्रचलित रिवाजों और व्यवहारों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हिन्दुओं के धार्मिक मूल ग्रन्थ वेद हैं परन्तु उनके धार्मिक विश्वासों को प्राचीनकाल से लेकर अब तक पुराणों से प्रेरणा मिली है। राजपूत इन पुराणों को सबसे अधिक महत्त्व देते हैं। राजस्थान में महादेव की पूजा होती है। राजपूत महादेव को ही अपना आराध्य देवता मानते हैं। वे लोग महादेव को एकलिंग भगवान के नाम से भी पुकारते हैं। मेवाड़ में एकलिंग के जितने भी मंदिर हैं, उनमें आराध्य देव की मूर्ति के आगे धातु की बनी हुई वृषभ की मूर्ति पायी जाती है । गुहिलोत वंश के राजा एकलिंग को अपना भगवान मानते हैं और उसी की पूजा करते हैं। उदयपुर से तीन कोस उत्तर की तरफ एक पहाड़ी मार्ग के बीच में भगवान एकलिंग का प्रसिद्ध मंदिर है। एकलिंग के पुजारियों को गोस्वामी कहा जाता है। ये लोग अपना विवाह नहीं करते । उनके शिष्य उत्तराधिकारी होते हैं। शैवपुजारी अपने शरीर में भस्म लगाते हैं और गेरुए वस्त्र पहनते हैं । मरने पर ये लोग जलाये नहीं जाते वल्कि इनके मृत शरीर को समाधि दी जाती है। बोलचाल की भाषा में गोस्वामियों को (गोसाई) कहा जाता है। मेवाड़ में बहुत से ऐसे गोसाईं लोग पाये जाते हैं, जो केवल पुजारी ही नहीं होते, बल्कि वे दूसरा व्यवसाय भी - करते हैं। इन गोसाईं लोगों ने मेवाड़ में राजा की तरफ से सदा सम्मान प्राप्त किया है। बहुत से राजकर्मचारी वहाँ पर गोसाईं देखे गये हैं। लोग अपने मठों और आश्रमों में रहा करते हैं। जीवन-निर्वाह के लिए राज्य की तरफ से उनको भूमि दी जाती है। कुछ लोग भिक्षा www 324