अध्याय-48 भटनेर व उसका शासक बैरसी भटनेर जो इस समय बीकानेर का एक महत्वपूर्ण अंग है और जिसके द्वारा इस राज्य के विस्तार की वृद्धि हुई है, किसी समय जाटों का प्रसिद्ध निवास स्थान था। वे जाट उस समय इतने शक्तिशाली थे कि वे अपने राजा के साथ भी युद्ध करने के लिए कभी-कभी तैयार हो जाते थे और राजा पर जब कोई आक्रमण करता था तो वे अपनी पूरी शक्ति के साथ राजा की सहायता करते थे। इसका भटनेर नाम इस बात को जाहिर करता है कि राज्य का सम्बन्ध भाटी लोगों के साथ हुआ। कुछ पुरानी खोजों से पता चलता है कि एक शक्तिशाली राजा ने इस राज्य की प्रतिष्ठा की थी। भटनेर भाट शब्द से बना है। इसलिये जाहिर है कि प्राचीनकाल में भाटी जाति ने यहाँ पर अपना राज्य कायम किया था और उसका नाम भटनेर रखा। जैसलमेर के इतिहास में इसके सम्बन्ध में अधिक आलोचना की गयी है। भटनेर राज्य के उत्तरी भाग की भूमि जो गाडा नदी के किनारे तक चली गयी है, इन दिनों में जल-शून्य हो रही है परन्तु प्राचीन काल में उसकी कुछ और ही दशा थी। उन दिनों में भटनेर का इलाका बहुत गौरवपूर्ण माना जाता था। भारतवर्ष में भटनेर एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है और उसको ऐतिहासिक गौरव मिलने का कारण यह है कि मध्य एशिया से भारतवर्ष जाने का रास्ता भटनेर से होकर है। इसलिये यह बहुत सम्भव है कि गजनी के शासक महमूद के द्वारा भारत पर आक्रमण करने के समय भटनेर के शूरवीर जाटों ने युद्ध करके उसको रोकने की चेष्टा की हो। इस जाति के पूर्वजों ने महमूद गजनी के भारत में आने से बहुत पहले इस देश की मरुभूमि में राज्य स्थापित किया था। जाट वंश को जब राजस्थान के छत्तीस राजवंशों में माना गया है तो यह निर्विवाद सत्य है कि महमूद गजनी के बहुत पहले से ये जाट लोग बहुत शक्तिशाली थे। शहाबुद्दीन गौरी के भारत में विजयी होने के बारह वर्ष पहले सन् 1205 ईसवी में उसके उत्तराधिकारी कुतुबुद्दीन ने उन जाटों के साथ युद्ध किया था, जो मरुभूमि के उत्तरी भाग में रहते थे और इस युद्ध का कारण यह था कि उन जाटों ने मुस्लिम साम्राज्य के हाँसी नामक इलाके पर अधिकार कर लिया था। बादशाह फीरोज की उत्तराधिकारिणी रजिया बेगम अपने राज्य का सिंहासन छोड़ने के लिये बाध्य होने पर आश्रय के लिये जाटों के पास गयी थी और उन जाटों ने रजिया बेगम को अपने यहाँ स्थान दिया था। उन जाटों ने रजिया बेगम की सहायता में उसके शत्रुओं के साथ युद्ध भी किया था। परन्तु उसका कोई परिणाम न निकला और रजिया बेगम स्वयं युद्ध में मारी गयी। सन् 1357 ईसवी में फिर से आक्रमण करके तैमूर ने जब भारतवर्ष पर अधिकार कर लिया. उस समय उसने भटनेर पर आक्रमण किया था और उसके इस आक्रमण का 564
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