सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

को राजपताका, राजचिन्ह और कुछ दूसरी चीजें दिया करता था। राजा लोग उन चीजों को अपनी सेना में प्रयोग करते थे।1 अधीन राजाओं के साथ सम्राट का यह व्यवहार सावित करता है कि मुगल शासन काल में सामन्त शासन-प्रणाली इस देश में प्रचलित थी। सम्राट हुमायूँ ने कई राजपूत राजाओं को अपने अधीन बना लिया था। परन्तु वादशाह अकवर की तरह उसको सफलता न मिली थी। शासन और राजनीति में अकबर वहुत बुद्धिमान और दूरदर्शी था। अपनी सूझ-बूझ के बल पर ही उसने लगभग समस्त राजस्थान के राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया था। उसने हिन्दू और मुसलमानों का भेद मिटा दिया था। इस कार्य में उसे सफलता भी मिली थी और उसकी व्यवहारिक कुशलता का ही यह परिणाम था कि बहुत से हिन्दू राजाओं ने उसको अपना सम्राट मान लिया था। आमेर राज्य दिल्ली के समीप है। उन दिनों में आमेर का शासन बहुत निर्वल था। अपनी निर्वलता के कारण ही और दिल्ली के निकट होने से आमेर के राजा को मुगल सम्राट के सामने आत्म-समर्पण करना पड़ा था। सबसे पहले आमेर के राजा बिहारीमल ने अकबर के साथ अपनी लड़की का विवाह किया था। उसके वाद मुगल सम्राट से अपनी लड़की का विवाह करना राजपूत राजाओं के लिए एक बहुत साधारण वात हो गयी और उन राजपूत वालाओं से कई मुगल सम्राटों का जन्म हुआ। सम्राट जहाँगीर का जन्म भी एक राजपूत बाला से हुआ था। उसका बेटा खुसरो, शाहजहाँ कामबख्श और औरंगजेव का वेटा अकवर राजपूत राजकुमारी से पैदा हुए थे। औरंगजेब के व्यवहारों से सभी हिन्दू राजा अप्रसन्न थे। इसलिये औरंगजेब को सिंहासन से उतार कर राजापूत राजाओं ने उसके लड़के अकबर को सिंहासन पर विठाने की चेष्टा की। मुगल सम्राटों का राजपूतों के साथ जो वैवाहिक सम्बंध शुरू हुआ था, वह अंत तक चलता रहा। जिस समय मुगलों की शक्तियाँ शिथिल हो गई थी, उन दिनों में भी सम्राट फर्रुखसियर ने मारवाड़ के राजा अजीतसिंह की लड़की के साथ विवाह किया था ।3 जिन राजपूत राजाओं ने अपनी लड़कियाँ मुगल सम्राटों को व्याही थी, उन राजपूत बालाओं से जो लड़के पैदा हुए, उनकी नाबालिग अवस्था में वही राजा उसके संरक्षक वने और उन दिनों में उन राजाओं ने अपने राज्यों की वृद्धि की। सन् 1877 इसवीं में दिल्ली के दरवार में ब्रिटिश महारानी के भारतेश्वरी उपाधि धारण करने की घोषणा लार्ड लिटन ने की थी। उस समय सभी हिन्दू-मुस्लिम राजाओं को एक-एक पताका दी गयी थी। जय घोषणा के बाजे के साथ-साथ एक-एक सोने का पदक भी दिया गया था। यह प्रणाली ठीक उसी प्रकार की थी, जैसी की प्राचीन काल में सम्राट अपने अधीन राजाओं को सनद देने के समय काम में लाया करता था। ऐसा मालूम होता है कि इस दिल्ली दरवार में हिन्दुस्तान की पुरातन प्रणाली का अनुकरण करके अंग्रेजी सरकार ने यहाँ के राजाओं के साथ व्यवहार किया था। सम्राट शाहजहाँ जोधाबाई के पेट से पैदा हुआ था। आगरा के पास सिकन्दरा में जोधा बाई का प्रसिद्ध समाधि मंदिर अव तक बना है। इस विवाह से अंग्रेजों की शक्तियाँ हिन्दुस्तान में मजबूत हुई थी। विवाह के दिनों में सम्राट फर्रुखसियर वीमार हो गया था। उस समय अंग्रेज कम्पनी सूरत में व्यवसाय करती थी, और सूरत से जो दूत सम्राट के पास दिल्ली भेजे गये थे, उनके साथ हेलिटन नाम का एक डाक्टर भी था। हेमिल्टन ने सम्राट का इलाज किया और उसकी औषधियों से वह सेहत हो गया। इसके वाद विवाह हुआ अंत में सम्राट उसके पुरस्कार का प्रश्न किया। सम्राट को उत्तर देते हुए डाक्टर ने कहा:-. 'मेरे साथ व्यवसाय के लिए जो अंग्रेज आये हैं, उनको अपनी कोठी बनाने के लिए हुगली में थोड़ी सी भूमि की जरूरत है।' सम्राट ने डाक्टर की बात को स्वीकार कर लिया। अंग्रेजों को हुगली में कोठी बनाने के लिए आवश्यकतानुसार भूमि मिल गयो । कोठी बन जाने से अंग्रेजों को रहने, व्यवसाय के माल को रखने तथा व्यापार करने के सुमीते 1. 2. 3. डाक्टर पैदा हो गये। 79