पृष्ठ:राज्याभिषेक.djvu/११९

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दिया था। मनुष्यभक्षी राक्षस रहते थे, उन्हें मारा। अगस्त्य ने सर्वप्रथम विन्ध्य और महाकान्तार को पार कर दक्षिण में हल्वल राक्षस को मार उपनिवेश स्थापित किया था। वैदर्भी लोपामुद्रा इनकी पत्नी थी। दोनों वेदर्षि थे। इन्होंने अरब समुद्र के जलदस्युओं को नष्ट कर जल-व्यापार निष्कंटक किया था। (ऋग्वेद) लोपामुद्रा ने राम के मित्र अलर्क को आशीर्वाद यहीं रावण-भगिनी शूर्पणखा और खर-दूषण से राम का विग्रह हुआ। पीछे रावण ने सीता हरण किया। इसी समय मारीच-वध हुआ, फिर सीता की खोज में ऋष्यमूक पर पम्पा सरोवर तट पर सुग्रीव, हनुमान से भेंटकर राम ने बाली को मार, सुग्रीव को किष्किधा का राजा बनाया। पीछे हनुमान से सीता की खोज करा, समुद्र पर सेतु बांध, लंका पर अभियान किया, जहां घोर युद्ध में रावण सपरिवार मारा गया तथा सीता का उद्धार कर और मित्र विभीषण को लंका राज्य दे, राम अयोध्या लौटे। पन्द्रहवें वर्ष के ठीक प्रथम दिन राम से भरत की नन्दीग्राम में भेंट हुई। पीछे अयोध्या में राज्याभिषेक हुआ। तदनतर अपवाद के भय से राम ने सगर्भा सीता को वन में त्याग दिया, जहां ऋषि वाल्मीकि ने उसे आश्रय दिया। वहां लव-कुश दो पुत्र हुए, जिन्हें ऋषि ने सुसंस्कृत किया तथा रामचरित लिखा। शत्रुघ्न ने यादव भीम सात्वत के आग्रह से मथुरा के शासक लवणा- सुर को मार, मथुरा अधिकृत किया। पीछे राम ने सीता की स्वर्णमूर्ति बना यज्ञ किया। भरत के मामा को गन्धों ने मार डाला था, इससे भरत ने गन्धों को मार केकय देश अधिकृत किया। समय पाकर और भी अनेक राज्य राम के परिजनों ने जय किए। राम ने कुश को युवराज बनाया। शत्रुघ्न के दो पुत्र हुए, सुबाहु और शत्रुघाती। भरत के पुष्कर और तक्ष । लक्ष्मण के अंगद और चन्द्रसेन । पीछे तक्ष ने तक्षशिला में और पुष्कर ने पुष्करावती में अपने राज्य स्थापित किए। कुश ने विन्ध्य के दक्षिणांचल में कुशस्थली में भी एक राज्य स्थापित किया। लव को उत्तर कोसल राज्य पृथक् करके दिया, राजधानी श्रावस्ती हुई। लव ने लवकोट (लाहौर) बसाया। अंगद और चन्द्र सेन (चन्द्रकेतु) चन्द्रावती और अंगद (मल्लदेश) के राजा हुए। सुबाहु को मथुरा का और शत्रुघाती को विदिशा का राज्य मिला । इस प्रकार राम ने अपने और भाइयों के आठों पुत्रों को राज्य बांटा। राम ने शत्रुघ्न', सुग्रीव, विभीषण सब मिलाकर ग्यारह राजाओं को अपने बाहुबल से राज्य जीतकर राज्याभिषेक किया। अंग, बंग, मत्स्य, शृंगवेरपुर, काशी, सिन्धु, सौवीर, सौराष्ट्र, दक्षिण कोसल, किष्किधा ११७