लगा । वह नाव पर बिठा लेने के लिए विनती करके कहने
लगा कि चाहे जितनी दूर चलो, मैं बिना कुछ उज्र किये तुम्हारे
साथ चलूँगा । वह तैरने में अत्यन्त कुलश था । वह मेरी नाव
के पीछे पीछे बड़े वेग से तैर कर आने लगा । उस समय हवा
का उतना ज़ोर न था । इससे आशंका होने लगी कि वह नाव
को शीघ्र ही पकड़ लेगा । तब मैं झट बजरे की कोठरी में से
बन्दूक ले आया, और उस (मूर) की ओर लक्ष्य कर के कहा
"देखो, मैं तुम पर प्रहार करना नहीं चाहता और यदि तुम
गोलमाल न करोगे तो तुम पर अस्त्र प्रहार करूगा भो नहीं;
तुम तो तैरना खूब जानते हो, अभो समुद्र भी शान्त है ।
इसलिए तैर कर समुद्र के किनारे चले जाओ । यदि तुम मेरे
पास आओगे तो समझ रक्खो, मैं इसी बन्दूक से तुम्हारी
खोपड़ी उड़ा दूँगा । जिस तरह भी हो, मैं स्वतन्त्र होने
का संकल्प कर चुका हूँ ।" यह सुन कर वह मुँह
फिरा कर किनारे की ओर जाने लगा । वह जैसा तैराक था
उससे वह निःसन्देह बिना किसी क्लेश के किनारे पहुँच
गया होगा।
इकजूरी लड़के को डुबा कर मैं मूर का साथ ले लेता तो मुझे बहुत सुभीता होता; किन्तु उस पर विश्वास न था । मूर के चले जाने पर मैं उस छोकरे की ओर घूम कर बोला–“क्यों रे लड़के ! तू मेरा विश्वासपात्र होकर रहेगा न ? नहीं तो तुझे भी समुद्र में डाल दूँगा ।" उसने मेरे मुँह की ओर ताक कर ऐसे सरलभाव से हँस कर शपथ की कि मैं उस पर अविश्वांस न कर सका ।
मूर जब तक तैरता हुआ दिखाई दिया था तब तक मैंने नाव की माँगी को समुद्र की ही ओ घुमा रक्खा था,