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राबिन्सन क्रूसो।

धीरे धीरे हम लोग एक शहर में पहुँचे। वहाँ खबर मिली कि दस हज़ार तातारी लुटेरे चले आ रहे हैं। इसकी सूचना सभी बटोहियों को दी जा रही है। अब क्या उपाय किया जाय? शहर के अध्यक्ष ने हम लोगों के साथ पाँच सौ चीनी सैनिक कर दिये। वे हम लोगों को कुछ दूर तक पहुँचा कर लौट आवेंगे।

तीन सौ सैनिक आगे और दो सौ पीछे चले। हम लोग दोनों पार्श्वों में होकर, माल लदे हुए घोड़ों ओर ऊँटों को बीच में करके, रवाना हुए। अब हम लोग पन्द्रह-सोलह मील लम्बी चौड़ी मरुभूमि में आ गये। जिधर देखो उधर बालू का मैदान नज़र आता था। दूर तक धूल उड़ते देख कर हम लोगों ने ताड़ लिया कि शत्रु-दल समीप आ गया। चीनी सैनिक जो पहले अपनी बातूनी वीरता की झड़ी बाँध उछलकूद कर रहे थे वे शत्रु-दल को सामने आते देख बार बार पीछे की ओर घूम कर देखने लगे। सैनिकों के लिए यह अच्छा लक्षण नहीं है। यह पीठ दिखलाने का पूर्वरूप है। मैंने उनका लक्षण ठीक न देख कर अपने यूथनायक से जाकर कहा। तब हमीं लोग पचास पचास मनुष्यों की टोली बाँध कर उन सैनिकों के दहने-बाएँ जाकर उन्हें साहस देने लगे।

देखते देखते तातारी डाकू आँखों के सामने आ गये। वे लोग गिनती में दस हज़ार से कम न रहे होंगे। उनको निकट आते देख हम लोगों ने बन्दूक़ों से उनकी अभ्यर्थना की। वे लोग इसका कुछ उत्तर न देकर एक तरफ़ से रास्ता काट कर निकल गये। हम लोगों के साथ कुछ छेड़-छाड़ नहीं की। यह देख कर हम लोगों ने आराम से साँस ली। इतने लोगों के साथ युद्ध करने से निःसन्देह सर्वनाश होता।