राबिन्सन क्रूसो
क्रूसो का गृहत्याग और तूफ़ान
१६३२ इसवी में इँगलेण्ड अन्तर्गत यार्क नगर में मेरा जन्म हुआ। मैं अपने माँ-बाप का तृतीय पुत्र था। मेरे बड़े भाई सैन्य-विभाग में काम करते थे। युद्ध में उनकी मृत्यु हुई थी। छोटे भाई का हाल मैं कुछ भी नहीं जानता। बालकों में छोटा या बड़ा जो समझिए मैं ही था, इसलिए मैं घर भर के लोगों का अत्यन्त स्नेहभाजन था। मेरे पिता सुनार का काम करते थे, तथापि उन्होंने मेरे पढ़ाने लिखाने में कभी कोई त्रुटि नहीं की। जब मैं अपने घर और पाठशाला में कुछ विद्या पढ़ चुका तब पिता ने मुझको क़ानून पढ़ाने की इच्छा प्रकट की। किन्तु मेरे दिमाग़ में तो बाल्यकाल से ही देशभ्रमण का शौक़ घुसा था, इसके लिए समुद्रयात्रा की और मेरा ध्यान लग रहा था। समुद्रयात्रा के अतिरिक्त मुझे और कुछ न सुहाता था, और न किसी दूसरे काम में मेरा जी लगता था। समुद्रयात्रा का उद्वेग ऐसा प्रबल हो उठा, समुद्रयात्रा की तरङ्ग मेरे मन में इस प्रकार लहराने लगी कि पिता की इच्छा और आदेश, माता की सान्त्वना और अनुनय, तथा आत्मीय बन्धुगणों की फटकार के विरुद्ध मेरा दृढ़ संकल्प हो गया। मानो मेरी चित्तवृत्ति स्वतन्त्र हो