पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/१६

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श्रीरामशलाका प्रश्‍न

श्रीरामशलाका प्रश्‍न में जो चौपाइयाँ निकलती हैं उनको फलसहित लिखते हैं-

सुनु सिय सत्य असीस हमारी । पूजहिं मन कामना तुम्हारी ॥१॥

प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा ॥१॥

प्रविशि नगर कीज़ै सब काजा । हृदय राखि कोशलपुर राजा ॥२॥

भगवान् का स्मरण करके कार्य का आरंभ करो, सिद्ध होगा, फल शुभ है ॥२॥

उघरे अंत न होइ निबाहू । कालनेमि जिमि रावण राहु ॥३॥

जो कार्य तुमने विचारा उसके अन्त में भलाई नहीं, फल मध्यम है॥३॥

विधिबस सुजन कुसंगति परहीं । फणिमणिसमनिजगुण अनुसरहीं॥४॥

खोटे मनुर्ष्या का साथ छोड़ो, कार्य में विलम्ब है ॥४॥

होइहै वहै जो राम रचिराखा । को करि तरक बढ़ावै साखा ॥५॥

अपने कार्य को भगवान् के ऊपर छोड़ो, कार्य होने में सन्देह है ॥५॥

मुदमंगलमय. संत समाजू । जिमि जग जंगम तीरथ राजू ॥६॥

प्रश्‍न अच्छा है, कार्य सिद्ध होगा ॥६॥

गरल सुधा रिपु करै मिताई । गोपद सिंधु अनल सितलाई ॥७॥

प्रश्न अच्छा है, शत्रुओं का नाश अवश्य होगा ॥७॥

वरुण कुबेर सुरेस समीरा । रण सन्मुख धरि काहु न धीरा ॥८॥

कार्य सिद्ध होने में बहुत सन्देह है, फल मध्यम है ॥८॥

सफल मनोरथ होइँ तुम्हारे । राम लषन सुनि भये सुखारे ॥९॥

सब मनोरथ सिद्ध होंगे, धन की प्राप्ति होगी, फल बहुत श्रेष्ठ है ॥९॥