पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/२

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रामचरितमानस की इस टीका पर
महात्मा गांधी की सम्मति


भाई रामनरेश जी,

आप का खत मिला है और सटीक मानस भी । आजकल आराम के दिनों में रोज आध घंटा रामायण सुनता हूँ। तीन दिन से आप ही का पुस्तक पढ़ता हूँ । जो प्रसंग चल रहा है सो तो पढ़ता ही हूँ, और भूमिका से आरम्भ किया है । अब जीवनी चलती है। मेरी तो आप के अनुवाद पर श्रद्धा है, इसलिये इस बारे में तो क्या लिखूँ ?

वर्धा

       

आपका

५-३-१९३६

   

मो० क० गांधी