राष्ट्रभाषा पर विचार जाई और मशिविरों का नतीजा है। इस किताब के जुमल; हुकूक गवर्नमेंट के नाम महफूज हैं। 'यह पुस्तक उनके प्रोत्साहन तथा सलाह का ही फलस्वरूप है' कहाँ की हिंदी भाषा है यह हम तो नहीं कह सकते। हमें यहाँ कहना तो यह है कि हिंदी में तो 'डायरेक्टर आफ पब्लिक इंस- ट्रक्शन', 'मिस्टर' और 'कापीराइट' का प्रयोग हो सकता है, पर उर्दू में इन्हें 'सरिश्तये तालीम', 'जनाब' और 'जुमलः हुकूक' का जामा पहनना ही होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि हिंदी के लिये यह सब क्या है पर उर्दू के लिये परागत अथवा उर्दू में तो फारसी-अरबी के सहारे नये नये शब्द गढ़े जा सकते हैं किंतु हिंदी में किसी के सहारे कदापि नहीं । उर्दू में 'साहब' का प्रयोग कर यह स्पष्ट दिखा दिया है कि उर्दू शिष्ट भाषा है और हिंदी वस्तुतः भोंडी और भद्दी। यह तो हुई प्रस्तावना की बात । अतएव इसे छोड़ अब मूल पाट पर आइये । पृष्ठ ४३ पर प्रश्न किया गया है :- १-एक गज में कितने फीट हुए । यही प्रश्न उर्दू में इस प्रकार है :-१–एक गज में कितने फुट हुए। विचार करने की बात है कि हिंदी में तो फुट का बहुवचन 'फीट' दिया गया है किंतु उर्दू में उसे फुट ही रहने दिया गया है । प्रसिद्ध बात तो यह है कि वास्तव में उर्दू का कोई अपना निजी व्याकरण नहीं । उसका व्याकरण बहुत कुछ फारसी-अरबी के सहारे खड़ा होता है और उसके बहुवचन भी भाँति-भाँति से धनते हैं, परंतु यहाँ सिद्ध इसके प्रतिकूल हो रहा है । यहाँ हिंदी में 'फुट' का बहुवचन अंगरेजी के ढङ्ग पर फीट' बनाया जा रहा है जो हिंदी की दृष्टि से नितांत अशुद्ध है । हम हिंदी में इसे इस प्रकार लिख नहीं सकते कि एक
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