पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२८२

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सामाजिक वर्गोका अर्थ २६७ भ्रमपूर्ण धारणाएँ इसमे सन्देह नही कि समाजवाद जिस नयी सामाजिक व्यवस्थाकी कल्पना करता है उसमे आजकलकी भाँति भीषण आर्थिक विषमताएँ न पायी जायेंगी, लेकिन इसका यह अर्थ निकालना भ्रमपूर्ण होगा कि समाजवादी आर्थिक एकरूपता कायम करना चाहते है । समाजवादका आदर्श हर व्यक्तिसे उसके योग्यतानुसार काम लेकर उसके आवश्यकतानुसार उपयोगकी वस्तुओका प्रवन्ध करना है । यह तो निश्चित ही है कि समाजके विभिन्न व्यक्तियोकी आवश्यकता भी विभिन्न होगी। ऐसी हालतमे सवकी आमदनी वरावर कैसे की जा सकती है ? कुछ लोग वर्गोका अर्थ समाजमे प्रचलित विविध धन्धे या पेशे ( vocations ) समझते है । इन लोगोकी रायमे समाजवाद सभी पेशोको मिटाकर सवको एक पेशेका बना देना चाहता है । यह स्पप्टत. असम्भव कल्पना है । यह मुमकिन है कि समाजवादी व्यवस्थामे आजकल प्रचलित कुछ धन्धोकी जरूरत न पड़े । उदाहरणार्थ, समाजवादी समाजमे हमे फौजकी जरूरत न होगी। लेकिन जवतक समाजका अस्तित्व मौजूद है समाजके भीतर विभिन्न कार्योको सुचारु रूपसे चलानेके लिए श्रमविभाजन मौजूद रहेगा और फलस्वरूप अनेक पेशे भी मौजूद रहेगे । सव पेशोको हटाकर एक पेशा कायम करनेकी दलील वास्तवमे समाजवादके उन विरोधियोद्वारा दी जाती है जो इसके जरिये वड़ी आसानीसे यह सावित करना चाहते है कि वर्गरहित समाजकी रचना एक असम्भव कल्पना है। वर्गकी परिभाषा समाजवादी जब वर्गोका उल्लेख करता है तो वह समाजमे प्रचलित उन उत्पादन सम्बन्धो ( production relations ) को ध्यानमे रखता है जिनपर समाजकी आर्थिक-प्रणाली आश्रित होती है । वर्ग या सामाजिक वर्ग उन व्यक्तियोका समूह है जो सामाजिक उत्पादनमे एक प्रकारका कार्य करते है और उत्पादनके क्रममे लगे हुए दूसरे व्यक्तियोके साथ उनका सम्बन्ध भी एकही सा होता है। यह एक-सा सम्वन्ध श्रमके साधनोके सम्बन्धमे भी लागू होता है । इससे हम यह भी समझ सकते है कि वितरणके क्षेत्रमे एक वर्गके सदस्योकी आमदनी भी प्राय एक सरीखी होगी। उदाहरणार्थ, हम आजके समाजमे मजदूरो और पूंजीपतियोको देखते है । सभी मजदूरोंके समूह, चाहे वे कपड़ेकी मिलोमे काम करते हो, खानोमे काम करते हो या और कही, एक ही श्रेणीमे गिने जायेंगे । सामाजिक उत्पादनमे, आर्थिक वस्तुप्रोकी पैदावारमे, इनका भाग एक-सा 1. A Social class is the aggregate of persons playing the same part in production, standing in the same relation towards other persons in the production process, these relations being also expressed in things (instrument of labour)—Bukharin in Histo- rical Materialism.