३२० राष्ट्रीयता और समाजवाद ! बेलजियम और फ्रांसके प्रतिनिधि इन संस्थानोको अपनी नीति स्थिर करनेकी स्वतन्त्रता देनेके पक्षमे थे, किन्तु नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, इग्लैण्ड और हालैण्डके प्रतिनिध इस मतके विरुद्ध थे। उनका कहना था कि ऐसी स्वतन्त्रता देनेसे पार्टी और युवक-संस्थामें भेद होनेका वडा भय है । डेनमार्क, नार्वे और स्वीडनमे युवकोका सगठन मजदूरदलद्वारा हुआ है, किन्तु इनका मुख्य काम शिक्षासम्बन्धी रहा है। पार्टीसे भिन्न इनकी कोई नीति नही है और नीति निर्धारित करना इनका काम नही है । ये संस्थाएँ केवल नये सदस्योकी भर्ती करती है । जव इनको पर्याप्त ज्ञान प्राप्त हो जाता है और राजनीतिक कार्यका कुछ अनुभव हो जाता है, तब उनको दलभुक्त होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । गत अप्रैलमे परफिगुअन, फ्रास ( Perfiguan, France ) मे जो सोशलिस्ट यूथ इण्टर नेशनल ( Socialist Youth International ) स्थापित हुअा था, वहाँ भी ऐसा ही भेद प्रकट हुअा था । सार्वदेशिक मजदूर युवक सस्थाके अभावमें इस सम्मेलनमे इंग्लैण्डका कोई प्रतिनिधि न था। किन्तु Presidium मे एक स्थान इंग्लैण्डके लिए सुरक्षित रखा गया है । इण्टर नेगनलकी अगली बैठक गत सितम्बरमें पेरिसमे होनेवाली थी। हमारे यहाँ भी इस प्रश्नपर मतभेद है । स्टूडेण्ट्स काग्रेस कभी- कभी राजनीतिक प्रश्नोपर अपना स्वतन्त्र मत प्रकट करती है, यद्यपि ऐसे अवसर कम ही आते है । प्रश्न यह है कि स्टूडेण्ट्स काग्रेसको ऐसी स्वतन्त्रता देनी चाहिये अथवा नहीं। जावितेसे स्टूडेण्ट्स काग्रेस राष्ट्रीय काग्रेससे सम्बद्ध नहीं है, किन्तु उसके सदस्य यही मानते है कि यह सस्था काग्रेसकी नीतिको स्वीकार करती है तथा किसी अवस्थामें उसका विरोध नही करेगी। सच यह है कि इसी कारण आज इसका इतना प्रभाव है । इस प्रभावको अक्षुण्ण रखनेके लिए आवश्यक है कि वह कांग्रेसका विरोध न करे, फिर भी यह प्रश्न शेप रह जाता है कि स्टूडेण्ट्स काग्रेसको राजनीतिक प्रश्नोपर अपने स्वतन्त्र विचार प्रकट करने तथा नये सुझाव करनेका अधिकार होना चाहिये या नहीं ? हमारे देशके कुछ नेता ऐसी स्वतन्त्रता नहीं देना चाहते, किन्तु अभीतक अधिकृत रूपसे काग्रेसकी अोरसे कुछ कहा नहीं गया है । हम देखेंगे कि यूरोपके जिन देशोकी युवक सस्थाएँ ऐसी स्वतन्त्रताकी माँग पेश करती है, ये वे देश है जहाँके नवयुवकोने युद्धके जमानेमे संगठित रूपसे शनुमोका तीव्र प्रतिकार किया था और अपने माहस, त्याग और शौर्यके कारण ख्याति पायी थी। इस कारण उनमे आत्मविश्वास वढा और उन्होने अपना महत्त्व समझा ।, अब वह अपना स्वतन्त्र मत रखना चाहते है और अपनी पार्टीके निश्चयोको प्रभावकारी करना चाहते है । उनकी दष्टिमे शिक्षाका कार्य उनके लिए काफी नहीं है । वे अपना मुख्य कार्य राजनीतिक समझते है । इसका यह अर्थ नहीं है कि उनका अपनी पार्टीमे विश्वास नहीं है, किन्तु इसका अर्थ केवल इतना ही है कि वे पार्टीको नीति निर्धारित करनेमे हाथ बँटाना चाहते है । युद्धकालीन नये अनुभवोंके कारण उनकी दृष्टि पुराने नेताअोकी अपेक्षा नवीन है और वे समझते है कि यदि नीति स्थिर करनेमे वे सहायक हो, तो पार्टीके लिए कदाचित् अधिक हितकर हो । पार्टीके प्रति वे वफादार है, किन्तु वे यह चाहते है कि पार्टीको नीतिको प्रभावित करनेका उनको अधिकार हो । युद्धके कारण जो असाधारण अवस्था उत्पन्न
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