पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/८८

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अभिभापण ७५ और यह कभी-कभी फौजदारीके मामले भी देखती थी। मुलजिमोपर कभी-कभी जुर्माना भी होता था। धीरे-धीरे अधिकारियोने इस आन्दोलनको दवाना शुरू किया। कुछ दिनो वाद किसान आन्दोलन बहुत दुर्वल पड़ गया। सन् १९३२ मे भी कांग्रेस कमेटीने लगानवन्दीका आन्दोलन शुरू किया । यह आन्दोलन इलाहाबाद और रायवरेलीमे अच्छी तरह चलता रहा, किन्तु अन्य जिलोमे यह जोर न पकड सका । सन् १९३३ मे प्रयागमे केन्द्रीय किसान संघकी स्थापना की गयी । इसकी शाखाएँ भी कुछ जिलोमे खोली गयी, किन्तु व्यवस्थित रूपसे कुछ काम न हो सका । इधर अन्य प्रान्तोमे भी किसान आन्दोलनका सूत्रपात हुआ । विहारमे किसानोका एक वडा मजबूत सगठन है । अखिल भारतवीय किसान संघकी स्थापना हुई । उसका प्रथम धिवेशन ऊमे गत अप्रैलमे हुआ था । काग्रेसके कार्यकर्तायोको चाहिये कि जिले-जिले किसान सघकी स्थापना करे और किसानोको उनकी आर्थिक माँगोके आधारपर सगठित करे । मजदूरोका सगठन भी अपने प्रान्तमे यूरोपीय युद्धके वादसे ही प्रारम्भ होता है । युद्धके बाद देशभरमे मजदूरोमे काफी असन्तोप था। उस समय व्यवसायका बाजार गर्म था। मिल-मालिकोको खूब मुनाफा हो रहा था, किन्तु मजदूरोकी मजदूरी वहुत थोड़ी थी। मजदूरी बढाने के लिए देशभरमे हडताले हुई। इसी अवसरपर अपने प्रान्तमे तीन यूनियन कायम हुई-कानपूर मजदूर सभा, बी० एन० डब्लू० रेलवेमैन यूनियन और प्रो० आर० रेलवे मैन यूनियन (इसका अव ई० आई० रेलवेमैन यूनियन नाम है)। सन् १९२७ से सगठनका काम बाकायदा शुरू हुआ । कानपुर-मजदूर सभाको श्री हरिहरनाथ शास्त्रीने स्वर्गीय पं० गणेशशकरजी विद्यार्थीकी सहायतासे सुसगठित किया । सभाने मजदूरोसे रुपया इकट्ठा कर अपना एक भवन निर्माण किया । सभाकी अोरसे पुस्तकालय, वाचनालय और डिसपेसरी खोली गयी और मजदूर सभा सेवासमितिकी स्थापना की गयी। यह सस्थाएँ आज भी वर्तमान है । सभाने 'मजदूर' नामका एक साप्ताहिक पत्र भी निकाला जिसका सम्पादन इस समय श्री राजाराम शास्त्री कर रहे है । सभाके उद्योगसे सन् १९२७ मे कानपुरमे 'आल इण्डिया ट्रेड यूनियन काग्रेस' का वार्षिक अधिवेशन हुआ । इसकी वजहसे अपने प्रान्तमे मजदूर आन्दोलनको बल मिला और १९२६ मे प्रथम प्रान्तीय सम्मेलन कानपुरमे पं० जवाहरलाल नेहरूके सभापतित्वमे हुमा । अबतक ५ प्रान्तीय सम्मेलन हो चुके है । प्रान्तीय ट्रेड यूनियन काग्रेस मजदूरोको सगठित करती है और उनके सग्राममे हिस्सा लेती है । गत ८-६ वर्षमे १० नयी यूनियन कायम हुई है। अपने प्रान्तमे मजदूर आन्दोलनका आरम्भ काग्रेसके सदस्योद्वारा हुया है। सन् १९३५मे अपने प्रान्तके कारखानोकी संख्या ५९७ और मजदूरोकी सख्या १३६२६० थी। फैक्टरी इन्सपेक्टरोकी इतनी कमी है कि सन् १९३४मे केवल ६२ कारखानोका एक बार मुआयना हो सका था। मजदूरोको अपने हितोकी रक्षाके लिए जगह-जगहपर मजदूर संघ स्थापित करने चाहिये । मिर्जापुर, आगरा, हाथरस, गोरखपुर