पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/२८६

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म्लेच्छों ने (हिन्दुओं की सेना पर अपनी सेना से उसी प्रकार ) बड़े साहपूर्वक घेरा डाला मानो घेरनी पक्षी फेरा देकर कबूतर पर झपटा हो । वक्षस्थल को फोड़कर उसकी शोभा नष्ट करती हुई बरछी दूसरी ओर निकल आई मानी जाल से स्वतन्त्र होने के प्रयत्न में आधी निकली हुई मछली हो ।

छ० ४९ ।

एक दूसरे से मिले हुए (एक पंक्ति में) हंस व्यादि जिस प्रकार शोर करते हुए आगे बढ़ते हैं उसी प्रकार रौद्र रस में भीग कर शूरवीर (युद्धभूमि में क्या बढ़ रहे हैं) मानो चौगान खेल रहे हैं। सर में बरछी लगते ही वहाँ पर भेजा निकल पड़ता है जिसको कौए बड़े श्रानन्दपूर्वक भात की तरह खाते हैं । छं० ५० ।

धैर्यवान् योद्धा मारो मारो कहते हैं। (युद्धभूमि में) बारा वर्षा की झड़ी के समान वरस रहे हैं । (अंत में ) पुंडीर वंशी पाँच वीरों के गिरने पर चंद पुंडीर ने मुकाबिला छोड़ दिया और तभी शाह ग़ोरी चिनाब से आगे बड़ा । छं० ५१ ।

शब्दार्थ- रू० ४३ - मीरं < फा० ० (मीर) = सेनानायक। नेज< फा० ४ (नेज़ा)=बरछी [दे० Plate No. III]। गड्यौ गाड़े हुए था । ठक्के = ठिठुके हुए । पुंडीर = पुंडीरवंशी। करी की, ठीक की । आनि=आज्ञा; [आणि] <अनी = सेना। करी < करि= हाथी ]। करी यानि साहात्र सा बंधि गोरी गोरी साहाब शाह ने आक्रमणकारी सेना ठीक की—ह्योर्नले । सजोरी = बलपूर्वक । दीन <० 29 (दीन) = धर्म । दीन दीनं दीन दीन चिल्लाते हुए। कढ़ी निकाली । बंकि <सं० वक्र = = टेढ़ी। अस्सी <सं०] असितलवार। बीज - बिजली । बीजकोटिनिकस्सों-करोड़ों बिजलियाँ निकल आई। सिप्पर <फा० (सिपर) = ढाल विशेष [दे० Plate No. III]। कौर = छेदकर । सेल बरछी । अग्ग= अगली ! बहुरं = बादल। नागिन = अनगिनती । नग्गी [ < नाग (पर्वत)] = पर्वतों की चोटियाँ। किधौं बद्दरं कोर नागिन नग्गी=मानों बादलों को छेदकर अनगिनती बादलों की चोटियाँ घुस गई हों; (मानों नंगी नागिनें बादलों में घुस गई हों --- ह्योर्नले) । हबक्कै हबककर (=बड़े लालच से या बड़े उत्साह से) । मे कँ <सं० म्लेछ । भ्रमंतं जुई छूटकर जो घूमे (अर्थात् जो अपनी सेना से उन्होंने हिन्दुत्रों को घेरा ) । घेरनी = पत्नी विशेष। धुम्मि = घूमकर। पारेव पारावत = कबूतर । तुझे = टूटना, झपटना। उरं फुट्टि= वक्ष- स्थल को फोड़कर । लटक्कै जुनं एक दूसरे से संबद्ध। उड़ हंस हल्लै-हंस (आदि चिड़ियाँ जिस प्रकार ) शोर करते हुए उड़ते हैं। रसं भीजि ( रौद्र रस में भीगकर। सूर=सुरवीर । चग्गान चौगान, पोलो [दे० Plate No. II]।