पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/४६९

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पृष्ट पंक्ति शुद्ध २ २३ शुद्धि-पत्र ( भाग २ ) शुद्ध 'धूप' ने भी रेवा (नर्मंदा ) की चर्चा छत्र- पति शिवाजी के राज्य की सीमा का उल्लेख करते हुए की है :- यवत गुसलखाने ऐसे कछु त्यौर ठाने जानो अवरंग ही के प्रानन को लेवा है रस खोट भए तें अगोट श्रागरे मैं सातौ चौकी डाँकि बानी घर कीन्ही हद रेवा है ॥७६॥ शिवराजभूपण ; ३ ६ वितरिय विश्वरिय ३ ७ इप इत् ५ १४ पिलि पिष्णि ७ २३ श्रगदेश अंगदेश १० गूदेदा गूदेदार ११ १६ लपित पित १४ २२ चलो चल्लो १५ ५ सिह सिंह 13 २४ ऐक एक १६ . १ दूहा, दूहा, 53 २४ मिल्यो मिल्यो १८ ५. धनुधरें धनुर्द्धर १६ १२ यो कि कि ये ३५ चौहानों २० ६ गोरी चौहान शोरी २१ २७ भारत भरत ララ ३१ मसरीत मसूरति २२ १६ गोरी गोरी २३ १६ पूर्वार्द्ध २६ ५ पृथ्वीराज पज्जून ६ पज्जून पृथ्वीराज