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परिच्छेद]
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आदर्शवाला

खड़ा हो गया ओर झिड़ककर बोला,—'हरामजादे! मुझ बेगुनाह को तू नाहक गुनहगार बनाता है! क्या तेरा बाप अगरेजो के साथ नहीं मिला हुआ है?"

सैय्यद अहमद केवल इतना ही कहने पाया था कि दस बारह सिपाहियों ओर मोरजाफ़र के साथ नवाब सिराजुद्दौला, जो वहीं पर पास ही लताकुंज मे छिपा हुआ मीग्न और सैय्यद अहमद की बातें सुन रहा था, सैय्यद अहमद के सामने पहुंच गया ओर गरज कर बोला,—

"नमकहराम, बेईमान, हरामजादे, दोज़खी कुत्ते! कम्बरत! तू अपने साथ औरो को भी लेकर मरना चाहता है? (सिपाहियों की ओर देखकर) तुम लोग खड़े खडे क्या देख रहे हो, बांधो, इस नालायक को, और वेडी हथकड़ियो से मजबूर कर के इसे जेलखाने के दारोगा के हवाले करो।

बस, हुक्म की देर थी! फिर तो बात की बात में मित्र द्रोही सैय्यद अहमद गिरफ्तार कर के जेलखाने भेज दिया गया और मीरजाफ़र तथा मीरन के साथ उसके बाग और मकान की तलाशी लेकर सिराजुद्दौला हीराझील-प्रासाद मे लौट आया। दाथों हाथ सैय्यद अहमद ने अपने कुकर्मो का फल पाया और कुसुमकुमारी के ऊपर पैशाचिक अत्याचार करने की वासना उसके मन में ही उठकर बिलाय गई! किसीने सच कहा है कि,—

कलजुग नही, करजुग है यह, यां दिन को दे औ रात ले।
क्या खूब सौदा नक्द है, इस हाथ दे, उस हाथ ले॥"