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परिच्छेद)
८९
आदर्शवाला।


तुम्हारी नसीहत करता हूं कि ऐसे नाकिस ख़याल को अपने दिल में जगह न दो। जिस मीरजाफ़र की तुम मेरे सामने बुराई कर रही हो, वह कैमा लायक, ईमानदार, फर्मावर और नमकखार शख्स है, इस अमर को तुम मुतलक नहीं समझ सकती, वर न उस की शान मे नुम ऐसे बद कलमे हर्गिज न कहती। लुत्फ़उन्निसा! मैं तुमको कुछ नही कहा चाहता, क्यो कि तुम सच्चे दिल से मेरी बिहतरी चाहती हो, अगर आज किसी दूसरी बेगम ने मीरजाफ़र की शान में ऐसे अलफाज़ कहे होते तो मैं ज़रूर उस बेगम को सख सज़ा देता।"

लुत्फ़॰,—"अफ़सोस है कि आपके दिल में मेरे कहने का मुतलक असर न हुआ, जिसका नतीजा, खुदा न करे, बहुत ही बद होगा, और तब आपको मेरी बाते याद आएंगी। मैं फिर भी दस्तबस्तः आपसे अर्ज करती हूं कि आप मीरजाफ़र से होशियार रहें और हर्गिज़ अंगरेज़-सौदागरो से लड़ाई न ठाने; बल्कि जहांतक जल्द मुमकिन हो,उनसे सुलह कर ले और धीरे धीरे मीरजाफ़र के चंगुल से अपने तई निकाल लेने की कोशिश करें!"

बुद्धिमनी और हित-चाहनेवाली लुत्फउन्निसा के हितोपदेश को सुनकर उद्धत-स्वभाव सिराजुद्दौला एक दम से जामे के बाहर होगया और त्योरी चढ़ाकर तीखे दो मे कहने लगा,—

कम्बख्त, फ़ाहिशा, लुत्फ़उन्निसा! तू फ़ौरन मेरी आंखो के सामने से दूर हो 'हरामज़ादी! मैंने तेरी बातो से बखूबी समझ लिया कि तू किसी गैर शख्स के साथ किसी किस्म का बदताल्लुक ज़रूर रखती है और भीतर ही भीतर शरीर सौदागरो से मिलकर मुझे खाक मे मिलाया चाहती है! अगर तू किसी शख्स के साथ कुछ ताल्लुक न रखती होती तो तुझे मेरे पोशीदा हाल क्योकर मालूम होते और उस शख्स के नाम बतलाने मे तू क्यो आनाकानी करती!!' चुनांचे तू किसी न किसी के साथ कुछ न कुछ लगाय ज़रूर रखती है और यही सबब है कि तू मीरजाफ़र-सरीखे नेक शख्स की बुराई मेरे रू-ब-रू करता है और अंगरेज़ो से सुलह करने की सलाह देती है!! कम्बरत! तू फ़ौरन मेरे सामने से चली जा, वर न तेरे हक़ मे बिहतर न होगा।

इतना सुन लुत्फ़उन्निसा जब तक उठकर वहासे जाय कि