पृष्ठ:लालारुख़.djvu/२४

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है चतुरसेन की कहानियाँ अगचे सुन चुके हैं, मगर तुम्हारी खास जबान से सुनना चाहते हैं। तमाम हालात मुफस्सिल में बयान करो। युवक ने जमीन में लोट-लोट कर सब मामला बयान क्यिा । बादशाह ने कर्माया- [-सव हरूक-बहरूफ लहा है। कहाँ है वह जालिम जमीर ? वहीं मुख्बार अफसर जमीर तख्त के सामने आकर घुटनों के बल गिर गया। बादशाह ने फर्माया--जमीर ! तुझे कुछ कहना है ? "खुदाबन्द ! रहम ! रहम !" बादशाह ने हुक्म दिया-इस जालिम को सीधा खड़ा करो। मगर ठहरो, मैं इस पर भी रहम किया चाहता हूँ। इसे नौकरी से बरखास्त किया जाता है और इसका दर्जा इस नौजवान को अता किया जाता है। इसकी तमाम जायदाद जब्त की जाती है और वह उस कहार के घर वालों को बख्श दी जाती है। हुक्म देकर बादशाह उठे। तुरन्त चार बाँदियों ने सहारा दिया। दरबारी लोग जमीन तक झुक गए। बादशाह न युवक के निकट पाकर कहा-आराम होने तक शाही महलों में रहने को तुम्हें इजाजत बख्शी जाती है और शाही हकोम तुम्हारे मालजे को मुकर्रर किए जाते हैं। युवक ने बादशाह की क़दमबोसी की और पल्ला चूमा। बादशाह धीरे-धीरे अन्तःपुर में प्रवेश कर गए। ३ अन्तःपुर के उन झरोखों के भीतर, जहाँ किसी भी मर्द की परछाई पहुँचनी सम्भव न थी, एक बहुमूल्य मखमली गहे पर