पृष्ठ:लालारुख़.djvu/३५

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सोया हुआ शहर [ इस कहानी में फायर सीकरी के दरइदर में बिखरी हुई मलाल वासना की एक असाधारमा प्रन कहानी है। कहानी पढ़ने के समय पाठक विवश उपी शुग में पहुँच जाते हैं। अपने समय के समान भर में मत्रमे बड़े बादशाह यथार्थ नामा-शाहजहाँ और उनकी प्यारी बेगम नुमताज -~-जिनकी मन में आगर का ताजमहल चन्द्रमा की मिन्त्र ज्यान्तना में शताब्दियों में अपना सुग्ना बखर रहा है—का नव विकस्ति बौवनकाल अमल धवल ग्रोम की जयल विन्दु के सनन कोमल प्रेम वर्णित है। १ आगरे के विश्व विख्यात ताज को देखने के बाद, जो लोग भाग्यहीन शाहजहाँ के अन्तिम बेबसी के दिनों पर करुणा का भाव भर कर घर लौटते हैं, उनकी आगरा यात्रा अधूरी ही रहती है। दूर और निकट के यात्रियों का प्रायः यही रंग ढंग देखने में आया है कि ताज देखा, सिकन्दरे का चक्कर लगाया और आगरे की प्रसिद्ध दाल-मोठ और पेठे की छोटी सी पोटली पल्ले बाँधी और समझ लिया कि आगरे की तफरीह पूरी हो गई। उनमें से बहुत से यात्रियों को यह नहीं मालूम है कि आगरे के पार्श्व में एक सोया हुआ शहर भी है, जिसका प्रत्येक निवासी सो रहा है-प्रत्येक भवन, प्रत्येक महल, सो रहा है। अनन्त अटूट नींद में, ऐश्वर्य और विलास से थक. प्रत्येक पत्थर