पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१५

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भेड़ियोंकी माँदमें पली हुई लड़कियां


सो जाती थीं। सोनेके पहले बड़ी लड़की बाहरसे घासफूस उठा लाती। उसीको विछाकर दोनों एक दूसरीपर पड़ रहती थीं।

छोटी लड़की तो मर गई। बड़ी लड़की इस समय १४ वर्षकी है। अब वह कपड़े पहनने लगी है। पहले खूब कसकर तङ्ग कपड़े उसे पहनाये जाते थे जिसमें वह उन्हें फाड़ न डाले। धीरे-धीरे कपड़े फाड़ने की उसकी आदत जाती रही। अब तो उसने बंगला भाषा के कुछ शब्द भी याद कर लिये हैं। किसीके आनेपर अब वह हाथ जोड़कर "नमस्कार" कहने लग गई है। उसे चुपचाप रहना अधिक पसन्द है। घंटों वह मौन बनी वेकार बैठी रहती है। नाम उसका रक्खा गया है-कमला। वह यद्यपि अब भेड़ियोंके सदृश भूंकती नहीं, तथापि हँसना या रोना वह अबतक नहीं जानती। पकड़े जाने के बहुत दिन बाद तक वह भेड़ियों ही की तरह मुँहसे चीज़ उठाकर खाती और उसी तरह पानी पीती थी। पर अब उसने हाथसे खाना सीख लिया है। खेलना-कूदना उसे पसन्द नहीं। उसे खिलौने या गुड़ियाँ यदि दी जाती हैं तो उन्हें काटकूटकर फेंक देती है। उसकी यह आदत धीरे धीरे छूट रही है। पर अबतक वह नहाना नहीं चाहती। सिंह महाशय को स्त्री हीसे वह विशेष प्रेम करती है, और किसीसे नहीं। मिस्टर सिंह कहते हैं कि कुछ ही दिनोंमें उसकी असभ्यता जाती रहेगी और उसमें स्वाभाविक स्त्रीत्व पूरे तौरपर आ जायगा।