नम्बर (४) जुर्मके सम्बन्धमें शर्त यह है कि पञ्चायत तभी मुकद्दमेकी समात कर सकेगी जब चोर चोरी करते वक़्त पकड़ या पहचान लिया गया हो।
(ख) ऐक्ट मदाख़िलत बेजा मवेशी के अनुसार।
दफ़ा
मदाख़िलत बेजा करनेके कारण किसी पशुको यदि किसीने पकड़ा हो और कोई उस ज़बरदस्ती छुड़ा ले या उसे पकड़नेसे रोके।
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(ग) सफ़ाई और तन्दुरुस्तीके कानूनके अनुसार।
ऐसे क़ायदोंके ख़िलाफ़ काम करना जो दफ़ा १५ के अनुसार बनाये गये हों और जिनकी बाबत दफ़ा १५ के अनुसार सज़ा दी जा सकती हो।
पञ्चायत किसी ऐसे जुर्मके सम्बन्धका मुकदमा नहीं सुन सकती जिसमें मुक़द्दमा दायर करनेवाला या मुलज़िम ऐसा सरकारी मुलाज़िम हो जो उसी ज़िलेमें काम करता हो जहाँ पञ्चायत क़ायम है।
सजाएं।
ज़ियादह-से-ज़ियादह सज़ाएं जो पञ्चायत दे सकती है वे ये हैं—
(क) ताजीरात हिन्दके अनुसार।
जुर्माना जो १०) से या जो नुकसान या घाटा हुआ हो उसके दूनेसे अर्थात् उन दोनोंमेंसे जो रकम बड़ी हो उससे ज़ियादह न हो।