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लेखाञ्जलि

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१-भेड़ियोंकी माँदमें पली हुई लड़कियाँ।

कोई सौ सवा सौ वर्ष पहले इस देशके प्रायः प्रत्येक प्रान्तमें जङ्गली हिंस्र जीवों का बड़ा आधिक्य था। भेड़िये, रीछ, लकड़बग्घे आदि की तो बात ही नहीं; शेर, बाघ और हाथीतक घने जङ्गलों में घूमा करते थे, और कभी-कभी वस्तियों के भीतरतक आकर उत्पात मचाते थे। पर अब यह बात नहीं। अब तो शेर, बाघ और हाथी उन्हीं जगहोंमें कुछ रह गये हैं जहाँ घोर जंगल हैं और दूर-दृरतक फैले हुए हैं। इनकी संख्या भी बहुत ही कम रह गई है। भय है कि यदि इन जीवोंका नाश इसी गति से होता गया, जिस गतिसे कि इस समय हो रहा है, तो शायद किसी दिन इनका समूल ही क्षय हो जायगा। भेड़ियों, रीछों तथा अन्य छोटे-छोटे हिंस्र जानवरों के विषय में यह बात चरितार्थ नहीं। कारण यह