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डिप्टी श्यामाचरण
 


गानो तो-'तुम तो श्याम बड़े वेखबर हो।'इस समय सुनने को बहुत जी चाहता है। महीनों से तुम्हारा गान नहीं सुना।

चन्द्रा-तुम्हीं गायो,कोयल की तरह कूक्ती हो।

सेवती-लो,अव तुम्हारी यही चाल अच्छी नहीं लगती। मेरी अच्छी भाभी,तनिक गायो।

चन्द्रा-मैं इस समय न गाऊँगी। क्या मुझे कोई डोमनी समझ लिया है?

सेवती-मैं तो बिना गीत सुने आज तुम्हारा पीछा न छोडूंगी।

सेवती का स्वर परम सुरीला और चित्ताकर्पक था। रूप और आकृति भी मनोहर,कुन्दन वरण और रसीली आंखें,प्याजी रङ्ग की साडी उस पर खूब खिल रही थी। वह आप-ही-श्राप गुनगुनाने लगी-

तुम तो श्याम बड़े वेखबर हो.. तुम तो श्याम. आप तो श्याम पीयो दूध के कुल्हड,मेरी तो पानी पै गुजर-

पानी पै गुजर हो। तुम तो श्याम०।

दूध के कुल्हड़ पर वह हँस पड़ी। प्रेमवती मी मुसकगयी,परतु चन्द्रा रुष्ट हो गयी। बोली-'विना हँसी की हंसी हमें नहीं भाती। इसमें हॅसने की क्या बात है?

सेवती-पायों,हम-तुम मिलकर गायें।

चन्द्रा-कोयल और कौए का क्या साथ?

सेवती-क्रोध तो तुम्हारी नाक पर रहता है।

चन्द्रा-तो हमें क्यों छेड़ती हो? हमें गाना नहीं आता, तो कोई तुमसे निन्दा करने तो नहीं जाता?

'कोई'का सकेत राधाचरण की ओर था। चन्द्रा में चाहे और गुण न हो,परन्तु मति की सेवा वह तन-मन से करती थी। उनका तनिक मी सिर धमका कि इसका प्राण निकला। उनको घर आने में तनिक देर हुई कि यह व्याकुल होने लगी। जब से वे रुकड़ी चले गये,तब से चन्द्रा का