पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१०४

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श्री
विज्ञप्ति.

अपने देशी भाषा के साहित्य की उन्नति कराने के उत्तम उद्देश्य से श्रीमंत महाराजा साहब सर सयाजीराव गायकवाड़ सेनाखासखेल, समर बहादुर, पतितपावन जी. सी. एस. आई, जी. मा. आई. ई, ने कृपा पूर्वक दो लाख रुपया सुरक्षित रख दिया है, उस व्याज में से जिन्होंने अनिवार्य शिक्षण पूर्णकर विद्यामार्ग प्राप्त किया है, ऐसे बालकों के लिये जो उपयोगी हो सके ऐसी सुगम सरल भाषा में लिखे गए विविध विषयों का लोक सा इत्य रचाकर उसे "श्री सयाजी बाल ज्ञान माला" नामक ग्रंथावली द्वारा प्रकाशित कराने की योजना की गई है।

इस योजना के अनुसार श्रीयुत आनन्दप्रिय आत्मारामजी में 'श्री हर्ष' नामक यह पुर के अनुवाद कराई गई है, और इसे उक्त “बाल ज्ञान माला" के " चरित्र गुच्छ के पुष्प १९ के रूप में विद्याधिकारी की भाषांतर शाखा द्वारा नियमानुसार संशोधन कराकर प्रकाशित किया जाता है।

विद्याधिकारी कचेरी, ...आ. मे. मसानी "ज. पु. जाशापुरा विद्याधिकारी भाषांतर शाखा भा. म. ता. २०-१०-१९२१) बडोदा राज्य.