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श्री हर्ष

पुण कवि' कहता है। 'प्रसन्न राघव' का कर्ता जयदेव उसे 'हर्षोहर्षः' (अर्थात् सरस्वती को आनन्द देने वाला) कहता है। इतना कहना तो अत्युक्ति जान पड़ती है। प्रथम वर्ग के कवियों यथा कालिदास, भवभूति इत्यादि से उतरता हुआ किंतु विशाख दत्त, भट्ट, नारायण इत्यादि से वह बढ़ कर ही है।

तब कहिए कि शरीर शक्ति बुद्धि शक्ति से सम्पन्न राजाओं के काल में भारत की प्रगति कितनी होगी?

परिशिष्ट पहिला
मधुवन का ताम्रपत्र

इ. स. १८८८ के जेन्युअरी के महीने में वायव्य प्रान्तों के आजमगढ़ के इशान कोन में सोलह कोसकी दूरी पर स्थित सगरी तहसील के नथुपुर परगने के मधुबन गांव में एक किसान का हल इस ताम्रपत्र से लगा, तब इसे बाहर निकाला गया। यह बीस तसु (गिरह) लम्बा और तेरह तसु (गिरह) चौड़ा है,