पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/६९

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राजाओं का चरित-कीर्तन; चन्दलेखा का विक्रम को माला पहनाना।

१०-वन-विहार, जल-विहार, फूल बीनना इत्यादि।

११-सन्ध्या, चन्द्रोदय, चन्द्रोपालम्भ और प्रभात आदि का वर्णन।

१२-ग्रीष्म में विक्रम का करहाट से कल्याण को लौटना; नगर-नारियों की चेष्ठा; ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल शीतोपचार, वापिका-विहार इत्यादि।

१३-रानी चन्दलेखा को सम्बोधन करके विक्रम के मुख से वर्षा-वर्णन।

१४-जयसिंह की शत्रुता; शरद् का आगमन और उसका वर्णन; दूत द्वारा जयसिंह को विक्रम का सदुपदेश; अपना राज तक दे डालने के लिए प्रस्तुत होना; जयसिंह का न मानना; दोनों ओर से चढ़ाई; कृष्णा नदी के तट पर सेना-निवेश।

१५-जयसिंह और विक्रम का युद्ध; जयसिंह का पराजय और पलायन; उसका पकड़ा जाना।

१६ हेमन्त, शिशिर और मृगया आदि का वर्णन।

१७-विक्रम का दान-धर्म, प्रजापालन इत्यादि तड़ाग, नगर और मन्दिर आदि का निर्माण;