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विदेशी विद्वान्
१—कोपर्निकस, गैलीलियो और न्यूटन
कदर्थितस्यापि हि धैर्यवृत्तेर्न शक्यते धैर्यगुणः प्रमार्ष्टुम् ।
अधोमुखस्यापि तनूनपातो नाधः शिखा याति कदाचिदेव ।।
भर्तृहरि *[१]
चार-पाँच सौ वर्ष पहले योरप मे ज्योतिष-विद्या के अच्छे विद्वान् एक भी न थे। इस कारण, उस समय की प्रचलित कल्पनाओ के झूठे अथवा सच्चे होने का निर्णय ही कोई न कर सकता था। जो कुछ जिसने सुन रक्खा था, अथवा जो कुछ टालमी और अरिस्टाटल इत्यादि पुराने विद्वान् लिख गये थे, उसे ही सब लोग सत्य समझते थे। लोगो का पहले यह मत था कि पृथ्वी अचल है और ग्रह-उपग्रह सब उसके चारों ओर घूमते हैं। यह कल्पना ठीक न थी।
- ↑ धैर्यवान् पुरुषों की अवहेलना करने पर भी वे अपनी धीरता को नही छोड़ते। अग्नि को चाहे कोई जितना नीचा करे, उसकी शिखा सदैव ऊपर ही की ओर जाती है, नीचे की ओर नही।