पृष्ठ:विद्यापति ठाकुर की पद्यावली.djvu/१८५

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विद्यापति । १७७ mamanMARA Moor Man or ano ANA MAANANTA राधा । ३४४ आदरे अधिक काज नहिं वन्ध । माधव बुझल तोहर अनुबन्ध ॥२॥ आसा राखह नएन पठाए । कत खन कौसले कपट नुकाए ॥ ४ ॥ चल चले माधव तोह जे सअनि । ताके वोलिय जे उचित न जान ॥ ६ ॥ कसिअ कसौटी चिह्न हेम । प्रकृति परेखिय सुपुरुख पेम ॥ ६ ॥ परिमले जानिय कमल पराग । नयने निवेदिअ नव अनुराग ॥ १० ॥ । भनइ विद्यापति नयनक लाज | आदरे जानिय आगिल काज ।। १२ ॥ नयन राधा । |३४५ माधव बुझल तोहर नेह ।। श्रोड धरइत म राखि न पारिय प्राश की जइ देह ॥ २ ॥ तो सन माधव अति गुनाकर देखइत अति अमोल । जेहन मधुक माखल पाथर तेहन तोहर बोल ॥ ४ ॥ इ रीति दए हम पिरिति लाल जोग परिनत भेल । अमृत चधि हम लता लागोल विपे फरि फरि गैल ॥ ६ ॥ भन विद्यापति सुनु रमापति सकल गुन निधान । अपन वेदने ताहि निवेदिअ जे परवेदन जान ।। ८ ॥ 99