पृष्ठ:विद्यापति ठाकुर की पद्यावली.djvu/२०

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१८ विद्यापति ।

माधव । ३३ जाइते मिललि कलावति रामा । से नहि देखल जे दिय उपामा ॥२॥ धइरजे चूकल चातुरि नारि । अनुभव कए गेल कुटिल निहारि ॥४॥ सौरभै जानल पटुमिनि जाति । अन्तर लागि रहल दिन राति ॥६॥ माधव । आनन लौलए वचन बोलए हसि । अमिअ वरिस जनि सरद पुनिम ससि ॥२॥ अपरुव रूप रमनियो । जाइत देखल गजराजगमनियॉ ॥४॥ काजर रञ्जित धवल नयन वर । भमर मिलल जनि विमल कमल पर ॥६॥ भनि भेल मेहि माझ खीनि धनि । कुच सिरीफले भरे भाड़िजाइति जनि ॥८॥ | कविशेखर भन अपरुव रूप देखि । राय नसरद साह भूललि कमल मुखि ॥१०॥ --


- - - - -- --- (८) सिरिफल=श्रीफल, बिल्वफल। (१०) राय नसरद साह=नसरत शाह-बग देशीय पठान राजा ।