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पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२

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समर्पण जीवनकी उपाके बिटकतेही, पत्नीके लिए कही जाती जिनके पर्यटन और शिकारकी कथाओंने मनपर अमिट छाप छोडा; जिन्होंने स्वजन-वियोजक चिरप्रोषित नातीको एक बार देख लेनेकी अपूर्ण कामनाके साथ संसारसे प्रस्थान किया। उन्हीं स्वर्गीय मातामह श्री रामशरण पाठककी कृतज्ञता- पूर्ण स्मृतिमें