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पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली खंड 3.djvu/१४६

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कर्मयोग

यह जीवन आपको कर्म करने के लिये मिला है, बिना कर्म किये आप एक क्षण भी नहीं रह सकते। इसलिये कर्म में अकर्म और धर्म में कर्म देखते हुये किस प्रकार उन्हें ईश्वर अर्पण किया जाय यह रहस्य इस पुस्तक में अत्यन्त सरलता पूर्वक समझाया गया है। कहना न होगा कि कर्मयोग का मर्म समझने के अभि- लापियों के लिये प्रस्तुत पुस्तक सर्वोत्तम पथ-प्रदर्शक है, यदि आप इस संसार में कर्मयोगी बनकर अपना जीवन सफल बनाना चाहते है तो इस पुस्तक को एक बार अवश्य पढ़िये। मूल्य Ila)

भक्तियोग

इस पुस्तक में भक्तियोग का निरूपण इतने अच्छे ढंग से किया गया है कि प्रत्येक पाठक भक्ति के रहस्य को बिना किसी कठिनाई के समझ सकता है। भक्ति-मार्ग के जिज्ञासुओं के लिये यह पुस्तक ज्ञानाजन शलाका है। मूल्य लगभग १।।)

नोट--इन पुस्तकों के अतिरिक्त हमारे यहाँ हिन्दी की सब प्रकार की पुस्तकें साथ फायदे के मिलती हैं।

सरस्वती पुस्तक-भण्डार
आर्यनगर, लखनऊ