पृष्ठ:विश्व प्रपंच.pdf/२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १३ )


लेकर हम तौले तो उसको तौल मोमबत्ती की तौल के बराबर होगी। शक्ति की अक्षरता की परीक्षा इस प्रकार हो सकती है कि किसी बोझ के उठाने में हम कुछ शक्ति व्यय करे और उस शक्ति को ताप के रूप में लाकर ताप की मात्रा नाप ले। फिर कभी उसी बोझ को उठाने में उतनी ही शक्ति लगा कर और उसे ताप के रूप में परिवर्तित कर के ताप की मात्रा नापे। ताप की दोनो मात्राऐ समान होगी।

सूक्ष्मातिसूक्ष्म परमाणु भी एक दूसरे को आकर्षित कर रहे है और ग्रह, उपग्रह , नक्षत्र आदि विशाल लोकपिड भी। उनके बीच आकर्षण शक्ति बरावर कार्य कर रही है। ग्रहो, नक्षत्रो आदि के बीच जो भारी अंतर है वह प्रत्यक्ष ही है। अणुओ, परमाणुओ आदि के बीच कितना असर रहता है, वह ऊपर बतलाया ही जा चुका है। यह अंतर क्या शुन्य है ? यदि शून्य है तो आकर्षण-शक्ति की क्रिया होती किस प्रकार है ? क्योकि ऊपर कहा जा चुका है कि द्रव्य के आश्रय के बिना शक्ति कार्य ही नहीं कर सकती। न्यूटन भी, जिसने योरप मे पहले पहल आकर्षण शक्ति का पता पाया था, इस असमंजस में पड़ा था। अतरिक्ष के बीच केवल आकर्षणशक्तिं कार्य करती हो सो भी नही। सूर्य की गरमी और सूर्य का प्रकाश वराबर हम तक पहुँचता है। ताप और प्रकाश भी गति-शक्ति के ही रूप हैं। अतः क्या ये भी शून्य से ही हो कर गमन करते है। यह हो नही सकता। शक्ति के कार्य करने के लिए कोई मध्यस्थ द्रव्य अवश्य चाहिए। इस लिए वैज्ञानिकों को द्रव्य के ऐसे रूप